Yuvraj Singh vs MS Dhoni : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खब्बू बल्लेबाज युवराज सिंह (Yuvraj Singh) आज कई युवा क्रिकेटर्स के आदर्श हैं. युवराज सिंह (Yuvraj Singh) दो बार विश्व कप जीतने वाली टीम के मैंबर रहे हैं. हालांकि युवराज सिंह को इस बात का दुख रहा है कि वे इतने लंबे समय तक क्रिकेट नहीं खेल सके, जितना कि वे खेलना चाहते थे. वहीं टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) से भी उनके रिश्तों को लेकर भी अक्सर तरह तरह की बातें सामने आती रही हैं. युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह (Yograj Singh) को अक्सर धोनी के बारे में बोलते रहे हैं, लेकिन युवराज सिंह इस बारे में बोलने से बचते रहे हैं, लेकिन अब शायद पहली बार युवराज सिंह ने एमएस धोनी (Mahendra singh Dhoni) के बारे में कुछ कहा है. युवराज सिंह ने कहा है कि एमएस धोनी और विराट कोहली से उन्हें इतना सहयोग नहीं मिला, जितना सौरव गांगुली का मिला था.
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युवराज सिंह ने कहा कि उन्होंने सौरव गांगुली, एमएस धोनी और विराट कोहली की कप्तानी में खेला है. युवराज ने कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा सहयोग सौरव गांगुली की ओर से मिला. उसके बाद एमएस धोनी ने कप्तानी संभाली. सौरव गांगुली और एमएस धोनी के बीच बेहतर कौन है, यह बताना कठिन काम है, लेकिन सौरव गांगुली के वक्त में उनके पास ज्यादा यादें हैं. क्योंकि दादा ने काफी समर्थन किया. इसके बाद युवराज सिंह ने यह भी कहा कि एमएस धोनी और विराट कोहली से उस तरह का समर्थन नहीं मिला. इससे समझा जा सकता है कि युवराज सिंह का इशारा क्या है और वे क्या कहना चाहते हैं. यह सारी बातें युवराज सिंह ने स्पोर्ट्सस्टार को दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान कही.
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यहां ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि पू्र्व कप्तान एमएस धोनी की ही कप्तानी में भारतीय टीम ने दो विश्व कप जीते थे. इसमें पहला विश्व कप 2007 में T20 का था. जिसके फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को हराया था. इस विश्व कप का जितने में युवराज सिंह की बड़ी भूमिका थी. इस विश्व कप में युवराज सिंह ने इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए एक मैच में छह गेंदों पर छह छक्के मारे थे और विश्व रिकार्ड बना दिया था. इसी कारनामे के बाद युवराज सिंह सिक्सर किंग कहे जाने लगे और अब तक उन छह छक्कों को याद किया जाता है.
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इसके बाद एमएस धोनी की ही कप्तानी में भारत ने साल 2011 में वन डे विश्व कप जीता था. इसमें भी युवराज सिंह का बड़ा योगदान था. जब श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच में कप्तान एमएस धोनी ने विजयी छक्का जड़ा था, तब दूसरे छोर पर युवराज सिंह ही नाबाद खड़े थे. इस विश्व कप में युवराज सिंह को मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी मिला था. हालांकि इससे पहले जब सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने साल 2003 के विश्व कप में फाइनल में जगह बनाई थी, तब भी युवराज सिंह उस टीम के साथ थे. हालांकि फाइनल में भारत को आस्ट्रेलिया के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था और दूसरी बार भारत का विश्व कप जीतने का सपना भी अधूरा रह गया था. इसके बाद कुछ समय तक विराट कोहली की कप्तानी में भी युवराज सिंह ने खेला, लेकिन टीम में उनकी जगह सुरक्षित नहीं रह पाई. काफी दिन तक टीम में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करने के बाद पिछले साल ही युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था.
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युवराज सिंह ने बातचीत के दौरान कहा कि जब वे साल 2000 में भारतीय टीम में शामिल हुए थे, तब आईपीएल जैसे खेल नहीं हुआ करते थे. युवराज सिंह ने बताया कि तब वे अपने हीरोज को टीवी की स्क्रीन पर देखा करते थे और फिर उन्हीं हीरोज के साथ उठने बैठने लगे. इस दौरान उन्होंने सीखा कि किस तरह से सीनियर का सम्मान किया जाता है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आज के खिलाड़ी आईपीएल जैसा खेल खेलना चाहते हैं कोई भी टेस्ट या फिर फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेलना चाहता.
युवराज सिंह से जब यह पूछा गया कि उन्हें सबसे ज्यादा परेशान किन गेंदबाजों ने किया तो युवराज सिंह ने बताया कि श्रीलंका के दिग्गज स्पिनर मुथैया मुरलीधरन के खिलाफ उन्होंने काफी संघर्ष किया. उनके खिलाफ कैसे खेलना है, वह नहीं जान पाए थे. वहीं आस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा की दूर जाती गेंदों से भी काफी परेशान हुए. हालांकि उन्होंने कहा कि वे मैक्ग्रा को ज्यादा नहीं खेल पाए, क्योंकि वे ज्यादा टेस्ट मैच नहीं खेल पाए और सीनियर्स के लिए चीयर कर रहे थे. उसके बाद सचिन तेंदुलकर ने उन्हें बताया कि मुरलीधरन के खिलाफ स्वीप करे तो वे स्वीप करने लगे और इसमें वे काफी सफल भी रहे.
Source : News Nation Bureau