कैंसर से जूझते हुए 2011 में विश्वकप जिताने वाले युवराज सिंह ने विराट कोहली के कहने पर ही क्रिकेट से संन्यास नहीं लिया। इंग्लैंड के खिलाफ 150 रनों की शानदार पारी खेलने के बाद इस बात का खुलासा खुद य़ुवराज सिंह ने किया। युवराज ने बताया जब आपका कप्तान आप पर विश्वास करता है तो उस पर खरा उतरना आपकी जिम्मेदारी होती है।
छह साल बाद वनडे में शतक लगाने के बाद युवराज ने कहा ,'जब आपको टीम और कप्तान का भरोसा हासिल हो तो आत्मविश्वास आ ही जाता है। विराट ने मुझ पर काफी भरोसा दिखाया है और मेरे लिये यह काफी अहम है कि ड्रेसिंग रूम में लोगों को मुझ पर भरोसा हो।' उन्होंने कहा,'एक समय ऐसा भी था जब मुझे लग रहा था कि मुझे खेलते रहना चाहिये या नहीं। कई लोगों ने इस सफर में मेरी मदद की। मेरा फार्मूला कभी हार नहीं मानने का है और मैं कभी हार नहीं मानता। मैं मेहनत करता रहा और मुझे पता था कि समय बदलेगा।' इससे पहले युवराज ने आखिरी शतक 2011 विश्व कप में चेन्नई में लगाया था।
उन्होंने कहा,'मुझे शतक बनाये लंबा समय हो गया था।मैं कैंसर से जूझकर खेल में लौटा हूं और पहले दो तीन साल काफी कठिन थे। मुझे फिटनेस पर मेहनत करनी पड़ी और मैं टीम से भीतर बाहर होता रहा। मेरी जगह टीम में पक्की नहीं रही।'
बता दें कि इस साल रणजी ट्राफी में बड़ौदा के खिलाफ 260 रनों की शानदारी पारी के दम पर ही य़ुवराज को इस वनडे में जगह मिली। युवराज ने कहा,'मैंने घरेलू सत्र में अच्छी बल्लेबाजी की। मैं बड़ी पारी खेलना चाहता था।' युवराज और एम एस धोनी ने चौथे विकेट की साझेदारी में 256 रन जोड़े।
साथ ही युवराज ने इस इंग्लैंड टीम को खतरनाक बताया जिसने दोनों वनडे में 350 से अधिक रन बनाये। उन्होंने कहा,'वे बहुत अच्छा खेल रहे हैं और उनके पास मध्यक्रम में कई खतरनाक खिलाड़ी हैं जो गेंदबाजों का मनोबल तोड़ सकते हैं। जितना ज्यादा ये खेलेंगे, उतना खेल बेहतर होगा।'
Source : News Nation Bureau