दुनिया के महानतम फुटबाल खिलाड़ियों में गिने जाने वाले अर्जेटीना के डिएगो मैराडोना पर बनी डॉक्यूमेंट्री 11 अक्टूबर को रिलीज होगी. इस डॉक्यूमेंट्री में इस विवादास्पद फुटबाल खिलाड़ी के एक्सक्लूसिव पर्सनल आर्काइव्स को दिखाया जाएगा. ऑस्कर विजेता भारतीय मूल के फिल्म निर्माता आसिफ कपाड़िया ने 'डिएगो मैराडोना' नाम की इस डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया है. जेम्स गे-रीज और पॉल मार्टिन इसके निर्माता हैं.
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इस शानदार डॉक्यूमेंट्री का निर्माण 500 घंटे की फुटेज के साथ किया गया है. इस डॉक्यूमेंट्री में मैराडोना की जीवनी को सटीक तरीके से पिरोया गया है. एक छोटे से शहर से आकर बड़ी लीगों में खेलने से लेकर अपने घर में अपनी बदौलत अपने देश को फीफा विश्व कप जिताने के उनके प्रेरणादायी सफल को बहुत सटीकता के साथ प्रदर्शित किया गया है.
डॉक्यूमेंट्री में मैराडोना का खेल करियर जितना ओजस्वी रहा है, उससे कहीं अधिक चर्चा उन्होंने विवादों के कारण बटोरी है. भारत में पीवीआर पिक्चर्स द्वारा पेश की जा रही इस डॉक्यूमेंट्री में के फर्श से अर्श तक के सफर को दिखाया गया है.
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फिल्म की शुरुआत तब से होती है, जब मैराडोना अपने करियर के सर्वोच्च मुकाम पर थे. वह विश्व रिकार्ड फीस के साथ 1984 में इटली के क्लब नेपल्स जाते हैं, जहां वह कई सालों तक खेलते हैं और एक इंटरनेशनल स्टार बनते हैं. डिएगो की देखरेख में नेपल्स ने पहली बार इटेलियन लीग खिताब जीता था और तभी से दुनिया भर में उनका नाम हो गया था.
इसके बाद मैराडोना ने 1986 में अपने देश में आयोजित फीफा विश्व कप में अपनी बदौलत फाइनल में गोल करते हुए अर्जेटीना को पहली बार विश्व खिताब दिलाया था. हालांकि उनका वह सफर भी विवादों से घिरा रहा, क्योंकि ऐसा कहा गया कि गोल करने से पहले मैराडोना हैंडबॉल कर चुके थे. इस कारण मैराडोना को दुनिया भर में 'हैंड ऑफ गॉड' कहकर पुकारा गया. मैराडोना को हालांकि इससे फर्क नहीं पड़ा और वह एक खिलाड़ी के तौर पर शानदार करियर के बाद रिटायर हुए.
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संन्यास लेने के बाद मैराडोना नशे की लत में आ गए और इस कारण काफी मुसीबत में भी फंसे. मुश्किल समय में क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिडेल कास्त्रो ने मैराडोना की काफी मदद की थी और इन दोनों की दोस्ती दुनिया भर में मशहूर थी. कास्त्रो के निधन के बाद मैराडोना ने कहा था कि वह उनके पिता समान थे.
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बहरहाल, कपाड़िया ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में मैराडोना के पर्सन आर्काइव से एक्सक्लूसिव कंटेंट का इस्तेमाल किया है. इनमें दशकों पुराने नए और पुराने रील्स और इंटरव्यू शामिल हैं. कपाड़िया ने 130 मिनट की इस फिल्म में मैराडोना के सही चरित्र का चित्रण करने का प्रयास किया है. यह फिल्म 2019 कान्स फिल्म फेस्टिव में दिखाई जा चुकी है.
Source : आईएएनएस