जिस धरती से इस क्रिकेट ने जन्म लिया वह अभी भी विश्व कप खिताब के लिए प्यासी है. क्रिकेट के जन्मदाता इंग्लैंड आज भी विश्व खिताब के लिए तरस रहा है. 1975 में शुरू हुए पहले विश्व कप के चार साल बाद ही 1979 के वर्ल्ड कप में इंग्लैंड फाइनल में पहुंचा लेकिन किस्मत ने दगा दे दिया, 8 साल बाद 1987 में खिताब जीतने का दूसरा मौका भी इंग्लैंड ने गंवा दिया. इसके बाद 1992 में भी इंग्लैंड विश्वकप के फाइनल में पहुंचा पर उपविजेता ही बन पाया. यह चौथा मौका है जब इंग्लैंड की टीम विश्व कप का फाइनल खेलने जा रही है. आइए जानें उन तीन फाइनल मैचों की कहानी जिसमें कैसे इंग्लैंड के हाथ से फिसल गया वर्ल्ड कप...
वर्ल्ड कप 1979: वेस्टइंडीज के हाथों इंग्लैंड की करारी हार
दूसरा विश्व कप भी इंग्लैंड में आयोजित किया गया. इस विश्व कप में पहली बार गैर टेस्ट क्रिकेट खेलने वाली टीमों को विश्व कप में भाग लेने के लिए क्वालिफाई करना पड़ा. पिछले विश्व कप की तरह 1979 के विश्व कप का फाइनल भी लॉर्ड्स में खेला गया. आठ टीमों ने इस विश्व कप में हिस्सा लिया और उनमें से चार-चार टीमों के दो ग्रुप बने. इस बार ग्रुप ए में इंग्लैंड, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की टीमें थी, तो ग्रुप बी में वेस्टइंडीज, न्यूज़ीलैंड, श्रीलंका और भारत की टीम आईसीसी ट्रॉफ़ी जीतने के कारण विश्व कप में खेलने आई थी.
ग्रुप में टॉप पर रही इंग्लैंड की टीम
ग्रुप ए से इंग्लैंड की टीम ने सभी मैच जीतकर शीर्ष स्थान हासिल किया था. पहले सेमीफाइनल में इंग्लैंड की भिड़ंत न्यूजीलैंड से हुई. ग्राहम गूच और माइक ब्रियरली की शानदार पारी की बदौलत इंग्लैंड ने आठ विकेट पर 221 रन बनाए. न्यूज़ीलैंड ने भी अच्छी शुरुआत की और जॉन राइट ने 69 रन ठोंके, लेकिन इंग्लैंड 9 रन से जीत गई.
फाइनल की कहानी, अच्छी शुरुआत के बाद ढेर हो गए अंग्रेज
23 जून को लॉर्ड्स के मैदान पर लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंची वेस्टइंडीज की टीम के सामने मेजबान इंग्लैंड की टीम थी. विवियन रिचर्ड्स के नाबाद शतक (138 ) की बदौलत वेस्टइंडीज ने 286 रनों का स्कोर खड़ा किया. लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड ने अच्छी शुरुआत की और पहले विकेट के लिए 129 रन जोड़े. सलामी बल्लेबाजों के आउट होते ही इंग्लैंड की टीम धराशायी हो गई. सिर्फ गूच ने 32 रन बनाए. इंग्लैंड की टीम 51 ओवर में 194 रन बनाकर आउट हो गई. वेस्टइंडीज ने लगातार दूसरी बार विश्व कप पर कब्जा किया.
1987 विश्व कपः महज 7 रन से ऑस्ट्रेलिया के हाथों मिली हार
1987 का विश्व कप पहली बार इंग्लैंड से बाहर आयोजित किया गया. 1987 के विश्व कप की मेजबानी भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से की. इस विश्व कप में पहली बार कुल ओवरों की संख्या 60 से 50 कर दी गई. आठ टीमों को दो ग्रुप में विभाजित किया गया.
ग्राहम गूच और माइक गैटिंग के स्वीप से फाइनल में पहुंचे अंग्रेज
सेमीफाइनल में मेजबान भारत का मुकाबला इंग्लैंड से था . मुंबई की पिच पर ग्राहम गूच और माइक गैटिंग ने स्वीप शॉट खेल-खेलकर भारतीय गेंदबाज़ों के छक्के छुड़ा दिए और 19 ओवर में 117 रन बना डाले. गूच ने 115 रनों की पारी खेली और गैटिंग ने 56 रन बनाए. इंग्लैंड ने 50 ओवर में छह विकेट पर 254 रन बनाए. भारत की पूरी टीम 219 रन बनाकर आउट हो गई. भारत की टीम 35 रनों से हारकर विश्व कप से बाहर हो गई.
फाइनल की कहानीः एक बार फिर अच्छी शुरुआत के बावजूद इंग्लैंड की हार
1987 के विश्व कप का फाइनल कोलकाता के ईडन गार्डन में खेला गया. यह मुकाबला इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ.
ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 50 ओवर में पांच विकेट पर 253 रन बनाए. जब तक माइक गैटिंग पिच पर थे, ये लग रहा था कि इंग्लैंड जीत सकता है, लेकिन उनके और एलेन लैंब के आउट होते ही इंग्लैंड की पारी लड़खड़ा गई. ऑस्ट्रेलिया ने सात रन से जीत हासिल कर विश्व कप पर पहली बार कब्जा किया.
1992 विश्व कपः तीसरी बार उपविजेता ही रह गया इंग्लैंड
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 1992 का विश्व कप आयोजित किया गया. पहली बार डे-नाइट मैच आयोजित किए गए. सफेद कपड़ों ने बार रंग-बिरंगी पोशाकों की जगह ले ली. लाल रंग की गेंद की जगह सफेद गेंद का प्रयोग किया गया. इसी विश्व कप में फील्डिंग रिस्ट्रिक्शन का प्रयोग भी पहली बार किया गया.
इंग्लैंड के लिए लकी रहा बारिश और फाइनल में पहुंचा इंग्लैंड
इंग्लैंड की टीम ने भी राउंड-रॉबिन मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन किया. इंग्लैंड ने आठ में से पांच मैच जीता और उसे सेमीफाइनल में जगह मिली. इंग्लैंड के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के मैच में बारिश ने अहम भूमिका निभाई. एक समय दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 13 गेंद पर 22 रन चाहिए थे, लेकिन बारिश क्या आई, लक्ष्य फिर से निर्धारित हुआ और फिर दक्षिण अफ्रीका को एक गेंद पर 21 रन बनाने का लक्ष्य दिया गया. और इस तरह 20 रन से हारकर दक्षिण अफ्रीका की उसके पहले विश्व कप से दुर्भाग्यपूर्ण विदाई हुई.
फाइनल की कहानीः इंग्लैंड और जीत के बीच खड़े हो गए अकरम
फाइनल में पाकिस्तान और इंग्लैंड में भिड़ंत हुई. डेरेक प्रिंगल ने 22 रन पर तीन विकेट लिए और पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाजों को चलता कर दिया, लेकिन उसके बाद इमरान ख़ान (72) और जावेद मियांदाद (58) ने पाकिस्तानी पारी संभाली. इंजमाम ने भी 42 रन बनाए और वसीम अकरम ने फटाफट 33 रन. पाकिस्तान ने 50 ओवर में छह विकेट पर 249 रन बनाए.
जवाब में इंग्लैंड की शुरुआत की खराब रही और उसके चार विकेट सिर्फ 69 रन पर गिर गए, लेकिन नील फेयरब्रदर और एलेन लैम्ब ने पारी संभाली. लैंब और क्रिस लुईस को लगातार गेंदों पर चलता कर अकरम ने पाकिस्तान की जीत पक्की कर दी. पाकिस्तान ने 22 रन से जीत हासिल की और पहली बार विश्व कप का खिताब जीता.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA