सभी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए भारत की स्टार भारोत्तोलक साएखोम मीराबाई चानू ने गुरुवार को 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया।
मणिपुर की चानू ने इस स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन किया और अपने प्रतिद्वंद्वियों को आस-पास भी नहीं भटकने दिया। चानू ने एक साथ राष्ट्रमंडल खेलों का रिकार्ड और गेम रिकार्ड अपने नाम किए।
चानू ने स्नैच में 86 का स्कोर किया और क्लीन एंड जर्क में 110 स्कोर करते हुए कुल 196 स्कोर के साथ स्वर्ण अपने नाम किया। स्नैच और क्लीन एंड जर्क दोनों में चानू का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उन्होंने साथ ही दोनों में राष्ट्रमंडल खेल का रिकार्ड भी अपने नाम किया है।
चानू ने विश्व चैम्पियन और नाइजीरिया की ऑगस्टिना नवाओकोलो का गेम रिकॉर्ड तोड़ा, जो 175 किलोग्राम का था। यह रिकॉर्ड उन्होंने 2010 में बनाया था।
चानू का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड 194 किलोग्राम का था, जो उन्होंने पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में बनाया था। इसमें उन्होंने खिताबी जीत हासिल की थी।
स्पर्धा का रजत पदक मौरिशस की मैरी हैनित्रा के नाम रहा, जिन्होंने कुल 170 किलोग्राम भार उठाया जबकि श्रीलंका की दिनुशा गोमेज 155 किलोग्राम भार उठा कर कांस्य जीतने में सफल रहीं।
चानू ने शानदार शुरूआत की और पहले प्रयास में 80 किलोग्राम का भार उठाया। इसके बाद उन्होंने 84 किलोग्राम और 86 किलोग्राम भार उठा कर अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हासिल किया।
ब्रेक में चानू, मैरी पर 10 किलोग्राम की बढ़त के साथ गईं।
क्लीन एंड जर्क में भारतीय खिलाड़ी ने शानदार शुरूआत की पहले प्रयास में 103 किलोग्राम का भार उठाया। इसके बाद उन्होंने 107 किलोग्राम का भार उठाने में सफलता हासिल की। आखिरी प्रयास में 110 किलोग्राम का भार उठाते हुए चानू ने भारत की झोली में स्वर्ण डाला। 110 किलोग्राम क्लीन एंड जर्क में चानू का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
इससे पहले, गुरुवार को ही भारोत्तोलान में ही गुरुराज ने इन खेलों का पहला पदक दिलाया था। वह पुरुषों की 56 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में रजत जीतने में सफल रहे थे।
पिछले कुछ वर्षो में चानू के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है। वह भारतीय भारोत्तोलन की परंपरा की बागडोर अपने हाथ में ले चुकी हैं और आदर्श खिलाड़ी के रूप में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं।
चानू से इस साल एशियाई खेलों और 2020 टोक्यो ओलम्पिक खेलों में भी पदक की उम्मीद है। उनका कहना है कि वह भारत की महिला भारोत्तोलक विश्व चैम्पियन कुंजारानी देवी, 2000 ओलम्पिक खेलों की कांस्य पदक विजेता कर्णम मलेश्वरी,लैशराम मोनिका देवी और संजीता चानू को पछाड़कर देश की नई पहचान बनने के लिए तैयार हैं।
इस उपलब्धि तक पहुंचने वाली चानू के लिए जीवन आसान नहीं रहा। 23 वर्षीया चानू इम्फाल ईस्ट जिले की हैं। अन्य भारतीय खिलाड़ियों की तरह ही उन्हें भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।
चानू की प्रेरणा भारतीय महिला भारोत्तोलक कुंजारानी रही हैं, जो मणिपुर की हैं। 2007 में चानू ने इस खेल में कदम रखा था और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
दक्षिण एशियाई जूनियर खेलों में चानू ने स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही अपनी क्षमता का सबूत दिया। इसके बाद, उन्होंने 2011 में अंतर्राष्ट्रीय युवा चैम्पियनशिप में भी सोना जीता।
वरिष्ठ स्तर पर उनका पहला पदक 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में आया। उन्होंने रजत पदक हासिल किया और संजीता चानू ने स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में और 2017 राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीते।
Source : IANS