तमिलनाडु में कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच चल रहे विवाद के चलते मंगलवार को चेन्नई और केकेआर के बीच होने वाले मैच के लिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पुलिस ने बताया कि कावेरी नदी जल विवाद के कारण आईपीएल मैचों के खिलाफ मिल रही धमकियों को देखते हुए किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है।
पुलिस के अनुसार मंगलवार को मैच के दौरान स्टेडियाम के अंदर दो हजार से ज्यादा पुलिस कर्मी मौजूद होंगे। इस दौरान पुलिस मैदान में काले कपड़े पहनकर जाने से लोगों को रोक सकती है।
तमिलनाडू के मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने कहा कि जरूरत पड़ने पर आईपीएल आयोजनकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला आयोजनकर्ताओं को करना है कि वे मैच को रद्द करते हैं या नहीं।
जयकुमार ने साथ ही यह भी कहा कि यह फैसला लोगों को लेना है कि वह आईपीएल मैचों का बहिष्कार करते हैं या नहीं।
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बता दें कि शुक्रवार को आरके नगर से एमएलए और एआईडीएमके से बागी नेता टीटीवी दिनाकरन ने लोगों से मैच का बहिष्कार करने की अपील की है।
इससे पहले टीवीके पार्टी के नेता टी.वेलमुर्गन ने कहा था कि उनकी पार्टी ने 10 अप्रैल को एम. ए. चिदंबरम स्टेडियम में होने वाले मैच के लिए टिकट खरीदे हैं। अगर आयोजक इस मैच को रद्द नहीं करते, तो उनके पार्टी कार्यकर्ता कावेरी मुद्दे पर मैच के दौरान प्रदर्शन करेंगे।
क्या है कावेरी विवाद?
कावेरी नदी दो राज्यों, कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच से होकर बहती है। इस नदी के पानी के बंटवारे को लेकर काफी समय से विवाद चला आ रहा है।
अंग्रेजों ने साल 1924 में पहली बार इसके जल को लेकर बंटवारा किया था जिसमें कर्नाटक का आरोप रहा कि उसके साथ अन्याय किया गया। 50 साल बाद ,1974 में उस पर फैसला होना था लेकिन दोनों राज्यों में सहमति नहीं बन पाई।
आखिरकार 1990 में केंद्र सरकार ने कावेरी जल ट्राइब्यूनल का गठन किया। दोनों पक्षों को कई साल तक सुनने के बाद 2007 में ट्राइब्यूनल ने तमिलनाडु को 419 टीएमसी फीट, कर्नाटक को 270 टीएमसी, केरल को 30 टीएमसी फीट और पुडुचेरी को 7 टीएमसी फीट पानी तय किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में कर्नाटक सरकार को आदेश दिया था कि कावेरी नदी से तमिलनाडु के किसानों के लिए आने वाले दस दिन तक 15000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाए। इसके बाद कर्नाटक में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया।
दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद 16 फरवरी को आए फैसले में कर्नाटक को दिए जाने वाले पानी का हिस्सा बढ़ा दिया गया।
कोर्ट ने ऐसा कर्नाटक, खासकर बेंगलुरु में पैदा हुए पेयजल संकट को देखते हुए किया। यह व्यवस्था 15 साल के लिए की गई है।
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Source : News Nation Bureau