IPL 2020 Update : आईपीएल 2020 होना तो अब तय है, इसकी तारीखों का भी ऐलान कर दिया गया है, वहीं सरकार से परमीशन भी मिल ही गई है, लेकिन इस बीच आईपीएल गवर्निंग काउंसिल (IPL 13 GC) और बीसीसीआई (BCCI) के लिए स्पॉसरशिप (Sponsorship of IPL) को लेकर बड़ा सवाल है. चीनी मोबाइल कंपनी वीवो (Vivo IPL) के स्पॉसरशिप से हटने के बाद अब बीसीसीआई (BCCI) के लिए यही सबसे बड़ी मुसीबत है. वीवो आईपीएल के टाइटर स्पॉसरशिप के तहत करीब 440 करोड़ रुपये बीसीसीआई को हर साल देता था, लेकिन अब कौन सी कंपनी आएगी और वह कितने पैसे देगी, यह अपने आप में बड़ा सवाल बना हुआ है. हालांकि पिछले आंकड़ों को देखें तो पता चलेगा कि पहले सीजन से लेकर अब तक आईपीएल को तीन कंपनियों ने ही स्पॉसर किया है, और हर बार रकम में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होती चली गई. अब तक आईपीएल के 12 सीजन खेले गए हैं और आईपीएल की लोकप्रियता के साथ ही स्पॉसरशिप की रकम भी बढ़ी.
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पहली बार जब साल 2008 में आईपीएल का पहला सीजन खेला गया तो आईपीएल 1 को डीएलएफ आईपीएल बोला जाता था. डीएलएफ एक रियल एस्टेट कंपनी है और कुछ साल पहले तक ये देश की बड़ी कंपनियों में शुमार की जाती थी. साल 2008 में डीएलएफ ने पांच साल के लिए करीब 200 करोड़ रुपये दिए थे. ये करार साल 2008 से 2012 तक के लिए हुआ था.
इसके बाद आया साल 2013 जब आईपीएल और डीएलएफ का साथ छूट गया और आईपीएल को नया स्पॉसर मिला पेप्सी. पेप्सी को को तो सब जानते ही हैं, यह कोल्ड ड्रिंक कंपनी है. बीसीसीआई और पेप्सी इंडिया के लिए पांच साल का करार हुआ. इस बार पेप्सी ने पांच साल के लिए 396 करोड़ 80 लाख की बोली लगाई और आईपीएल का टाइटल स्पॉसर बन गया. यानी पहले जिसके लिए बीसीसीआई को पांच साल के लिए 200 करोड़ रुपये मिले थे, उसी काम के लिए अब यानी साल 2013 में 396 करोड़ 80 लाख मिलने लगे थे, यानी करीब करीब दो गुने से कुछ ही कम. इससे समझा जा सकता है कि आईपीएल की लोकप्रियता में कितनी तेजी से इजाफा होता चला गया.
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इसके बाद आया साल 2018 और इस बार तो आईपीएल की स्पॉसरशिप के लिए छप्पर फाड़ के पैसा गिरा. इस बार चीनी मोबाइल कंपनी ने करीब 2190 करोड़ रुपये देने की बात कही और उसे टाइटल स्पॉसरशिप मिल गई. यानी सालाना करीब 440 करोड़ रुपये. पहले साल आईपीएल को पूरे पांच साल के लिए जो स्पॉसरशिप 200 करोड़ रुपये में दी थी, लेकिन आगे जाते जाते उसके एक ही साल के लिए 440 करोड़ रुपये मिलने लगे. लेकिन अब सवाल यह है कि क्या इस साल भी इसी तरह का इजाफा स्पॉसरशिप के लिए मिलेंगे या फिर कोरोना वायरस के कारण जो आर्थिक हालात खराब हुए हैं, उससे स्पॉसरशिप पर भी कुछ असर पड़ेगा.
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आपको बता दें कि आईपीएल के 13वें सीजन में से वीवो को हटने के बाद लीग के लिए नए प्रायोजकों के लिए जमीन खाली हो गई है. हालांकि इस बीच बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि या तो ई-कॉमर्स या ई-लनिर्ंग कंपनियों में से कोई इसमें कूद सकता है साथ ही टेलीकॉम सेक्टर में से भी कोई कंपनी अपने हाथ आजमा सकती है. एक बाजार विशेषज्ञ का कहना है कि दिवाली के कारण अमेजन जैसा ब्रांड इसमें कूद सकता है. साथ ही इस डील में उन्हें वीवो की रकम 440 करोड़ से कम रकम लगानी होगी. कोई भी कंपनी इसमें आए यह हर किसी के लिए अच्छी स्थिति है.
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विशेषज्ञ का मानना है कि इस लॉकडाउन में जो कुछ हुआ और इसका बाजार पर आर्थिक प्रभाव जो पड़ा, इसमें दो बड़े खिलाड़ी निकल कर सामने आए ई-लनिर्ंग और ई-कॉमर्स सेक्टर. आप किसी नए खिलाड़ी के आने की उम्मीद नहीं कर सकते कि कोई स्टार्टअप आ जाए. लेकिन हो सकता है कि बायजूस जो पहले से ही बीसीसीआई परिवार का हिस्सा है, इसमें आ सकता है और इवेंट कर सकता है. इस बीच अनअकेडमी को नहीं भूलिए जो अपने आप को क्रिकेट जगत से जोड़ने के पीछे लगा है.
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विशेषज्ञों का कहना है कि अब जब आप ई-कॉमर्स की तरफ देखते हो तो लीग का फाइनल दिवाली से चार दिन पहले है, आप दिवाली से दो दिन पहले खरीदारी नहीं करते हो. आप त्योहार से एक महीने पहले यह करते हो. अमेजन और फ्लिपकार्ट के लिए इस समय का उपयोग करने से बेहतर और फायदा उठाने से बेहतर क्या हो सकता है? साथ ही आपको पता है कि कोई 440 करोड़ नहीं देगा, इसलिए आपको सर्वश्रेष्ठ विज्ञापन मंच आधी या एक तिहारी कीमत में मिल रहा है. इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता.
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एड फील्म बनाने वाले प्रहलाद कक्कर का मानना है कि किसी को फार्मा सेक्टर को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि इस महामारी के दौरान कुछ फर्मा कंपनियों ने भी काफी अच्छा किया है. लेकिन उन्होंने कहा कि अमेजन इस सूची में सबसे आगो हो सकती है. प्रहलाद कक्कर का कहना है कि मुझे नहीं पता कि अमेजन इसमें आना चाहेगी या नहीं क्योंकि वह काफी सावधानी से काम करते हैं, लेकिन वो रुचि लेते हैं तो वह इस करार को ले जा सकते हैं. ई-लनिर्ंग कंपनी भी आ सकती है. लेकिन आपको फार्मा सेक्टर को ध्यान में रखना होगा क्योंकि उन्होंने बाजार में काफी अच्छा किया था, तो क्यों नहीं ? आपको यह बात याद रखनी होगी कि इस सीजन आईपीएल काफी बिकेगा क्योंकि लोग टीवी से ही चिपके रहेंगे. मुझे लगता है कि जो भी प्रस्ताव लेगा उसका फायदा ही होगा.
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एक और बाजार विशेषज्ञ ने कहा कि अगर जियो इस रेस में कूदता है और उसके मालिक के बीसीसीआई से भी अच्छे संपर्क हैं. उन्होंने कहा, जियो ऐसा ब्रांड है जो आठों टीमों से जुड़ा है. वो क्यों मुख्य प्रायोजक के खेल में नहीं कूदेगी. अगर वह कूदते हैं तो यह बीसीसीआई के साथ उनके संबंधों के कारण होगा. आंकड़ों के हिसाब से आईपीएल विंडो में वो सबसे बड़ा ब्रांड है. उन्होंने कहा, लेकिन आप जियो टेलीकॉम इंडस्ट्री का काबिलियत को नजरअंदाज नहीं कर सकते, अगर वो चाहे तो. वो छुपा रुस्तम साबित हो सकता है.
Source : Sports Desk