भारतीय पूर्व दिग्गज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद (Venkatesh Prasad ) ने नो बॉल और खेल भावना को लेकर एक ट्वीट किया हैं. वेंकटेश प्रसाद ने ट्वीट में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड (ICC) का जिक्र करते हुए बॉलर के हित में अपनी राय रखी है और बल्लेबाजों की आलोचना की. दरअसल, आईपीएल चल रहा है और क्रिकेट का रोमांच पूरी तरह से अपने चरम पर है. वहीं, वेंकटेश प्रसाद ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक चेन्नई और राजस्थान के मैच के बीच की एक तस्वीर शेयर की और लिखा- एक गेंदबाज को एक इंच ओवरस्टेपिंग करने पर नो-बॉल के रूप में सजा दी जाती है, लेकिन एक बल्लेबाज रन लेने के चक्कर में पहले ही क्रीज छोड़ रहा है उसके लिए किसी भी प्रकार की कोई सजा नहीं है. एक गेंदबाज को हर प्रकार का हक है कि वह बल्लेबाज को रनआउट कर सकता है और इस फैसले पर खेल भावना को लाना बड़ा मजाक है.
The bowler overstepping by a few inches is penalised, but a batsman backing up a few yards isn’t.
— Venkatesh Prasad (@venkateshprasad) April 20, 2021
The bowler has every right to run out a batsman backing up so far. PERIOD.
Calling it against the spirit of the game is a joke @ICC .#CSKvRR pic.twitter.com/vIHqbe6fWU
दरअसल, आईपीएल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार मांकड़ के फैसले पर चर्चा होती रही है और कुछ खिलाड़ी नियमों के तहत जिस पर अपनी बात रखते हुए नजर आते हैं, तो कुछ खेल भावना के प्रति इस नियम को गलत बताते है. वेंकटेश प्रसाद ने भी खेल भावना का बखान करने वाले खिलाड़ियों को सीधे तौर पर नहीं कहा, लेकिन निशाना उन्हीं खिलाड़ियों की तरफ था.
1947 में ‘मांकड़िंग’ प्रकरण की शुरुआत
गेंदबाज जब बॉलिंग कर रहा होता है, तो उस वक्त जब बल्लेबाज गेंद फेंके जाने से पहले क्रीज से बाहर निकल जाता है और उसे गेंदबाज रन आउट कर देता है उसे ‘मांकड़िंग’ कहते है. पहली बार इस तरह के रनआउट को ‘मांकड़िंग’ पूर्व भारतीय कप्तान वीनू मांकड़ के नाम पर कहा जाता है. भारतीय टीम 1947 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी. मांकड़ बॉलिंग कर रहे थे और इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बिल ब्राउन क्रीज से आगे निकल गए. मांकड़ ने बिल ब्राउन को रनआउट कर दिया था. मांकड़ ने जब इस तरह से बिल ब्राउन को रन आउट किया था तो उनको भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.
HIGHLIGHTS
- आईपीएल में एक फिर छाया ‘मांकड़िंग’ प्रकरण
- वेंकटेश प्रसाद ने आईसीसी पर साधा निशाना
- 1947 में ‘मांकड़िंग’ प्रकरण की शुरुआत