दुनिया की सबसे बड़ी लीगों में से एक इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल (IPL 2020) कोरोना वायरस (CoronaVirus) के कारण भले इस वक्त न चल रही हो, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आईपीएल के इतिहास में सबसे महंगा खिलाड़ी कौन है. जी हां, वे हैं बाएं हाथ के खब्बू बल्लेबाज युवराज सिंह (YUvraj SIngh). युवराज सिंह को साल 2015 में 16 करोड़ रुपये में खरीदा गया था, लेकिन अब युवराज सिंह (Yuvraj SIngh) का कहना है कि आईपीएल (IPL) के लिए जितनी ज्यादा रकम मिलती है, दबाव उतना ही बढ़ जाता है. ऐसा ही 2015 के आईपीएल में युवराज सिंह के साथ हुआ था. इसके साथ ही युवराज सिंह ने यह भी बताया कि उनकी फील्डिंग पहले इतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन एक ऐसा वाकया हुआ, जिसके बाद उन्होंने अपनी फील्डिंग पर काम करना शुरू किया और एक वक्त में तो वे भारत के सबसे बेहतरीन फील्डर हो गए थे. एक वक्त में मोहम्मद कैफ और युवराज की फील्डिंग जोड़ी शानदार हुआ करती थी. यह सारी बातें युवराज सिंह ने मोहम्मद कैफ से बात करते हुए ही कही हैं.
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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने सोमवार को कहा कि इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में महंगा बिकने वाला खिलाड़ी मिलने वाली मोटी रकम का दबाव तब महसूस करता है, जब वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता. जब तक लोग उसके बारे में नकारात्मक बातें करने लगते हैं कि इस पर लगा इतना पैसा बर्बाद गया. युवराज सिंह के नाम अभी भी आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी का रिकार्ड है. युवराज सिंह को दिल्ली की फ्रेंचाइजी ने 2015 में 16 करोड़ रुपये में खरीदा था. युवराज सिंह का वो आईपीएल अच्छा नहीं रहा था. उस साल उन्होंने 14 मैचों में 248 रन ही बनाए थे.
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युवराज सिंह ने अपने पूर्व साथी मोहम्मद कैफ के साथ इंस्टाग्राम पर लाइव चैट में कहा, दबाव का कारण मोटी रकम होती है. मैं यह नहीं कहूंगा कि यह खिलाड़ी को बदल देती है. आप जब सफलता की सीढ़ी चढ़ लेते हो तो लोग आपको नीचे खींचने लगते हैं. उन्होंने कहा, प्वाइंट यह है कि.. दबाव रहता है क्योंकि जब आप आउट हो जाते, अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते तो लोग कहने लगते हैं कि इसको इतना पैसा मिला और यह अच्छा नहीं कर रहा है. नकारात्मक खबरें ज्यादा बिकती हैं और यह आपको प्रभावित करती हैं. सारे युवाओं को मेरी सलाह है कि टीवी और अखबारों से दूर रहें.
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युवराज सिंह ने अपनी फील्डिंग को लेकर भी बात की और बताया कि वह कैसे अच्छे फील्डर बने. युवराज सिंह ने कहा, मैं काफी तेज था लेकिन फील्डिंग का आइडिया नहीं था. मेरे अपने पहले रणजी मैच में मैं 15-16 साल का था और मैंने खराब फील्डिंग की. अगले दिन अखबार में आर्टिकल आया जिसमें लिखा था 'गेटवे ऑफ इंडिया'. उन्होंने कहा, मेरे पिताजी ने यह पढ़ा और कहा कि अब मैं देखता हूं कि तू कैसे फील्डिंग नहीं सुधारता. वहां से मैं बेहतर होता चला गया.
(आईएएनएस)
Source : News Nation Bureau