टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympic 2021) का शानदार तरीके से समापन हो गया. भारत ने इस बार अद्भुत सफलता पाई लेकिन साथ ही एक ऐसी भी चीज मिली, जिससे अन्य देशों के खिलाड़ियों को रश्क हो रहा है. ये बात बताई है पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले शरद कुमार ने. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि जिस स्पर्धा में उन्होंने कांस्य पदक जीता, उसमें अमेरिका के एथलीट ने स्वर्ण पदक जीता. जब उसे पता चला की हमारी उपलब्धि पर खुद देश के प्रधानमंत्री बधाई देते और तारीफ करते हैं तो अमेरिका के स्वर्ण पदक विजेता ने कहा 'तुम्हें स्वर्ण पदक से बड़ी चीज मिली है'. शरद कुमार ने इस बार पैरा एथलीटों के लिए सरकार की ओर से किए गए प्रयासों की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि जापान की सरकार इस बार के पैरालंपिक खेलों को ओलंपिक खेलों से भी बड़ा आयोजन बनाने का प्रयास कर रही थी, ऐसे में किसी भी निजी कंपनी ने पैरालंपिक खिलाड़ियों की मदद नहीं की. सरकार ने आगे आकर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया. शरद कुमार ने कहा कि एथेंस पैरालंपिक में पदक विजेता देवेंद्र को अपने जाने का खर्च खुद उठाना पड़ा था लेकिन इस बार प्रधानमंत्री ने जाने के लिए सरकार की ओर से व्यवस्था की और यही नहीं, हमारी सफलता पर खुद संबोधित भी किया. उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में सरकार ने पैरागेम्स की ओर विशेष ध्यान दिया है, जिस कारण इस बार शानदार सफलता मिली है.
सरकार अब इस बात पर ध्यान दे रही है कि पैरा एथलीटों को किस चीज की जरूरत है और उस हिसाब से सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. हमें पहले से कही बेहतर उपकरण मिले हैं और इसी वजह से आज पैरा गेम्स में भारत का चेहरा बदल गया है. आपको बता दें कि इस बार टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympic 2021) खेलों में भारत ने पांच स्वर्ण पदक सहित 19 मेडल जीते हैं. इससे पहले भारत का पैरालंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रियो ओलंपिक में था, जिसमें महज 4 पदक जीते थे. यही नहीं, पैरालंपिक की शुरुआत से 2016 के पैरालंपिक तक भारत ने कुल 12 पदक जीते थे लेकिन इस बार भारत ने कुल 19 पदक जीते हैं, जो इससे पहले के सारे पैरालंपिक में मिलाकर जीते पदकों से कहीं ज्यादा हैं. बता दें कि शरद कुमार का जन्म 1 मार्च 1992 को बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ था. महज दो साल की उम्र में पोलियो से उनका बायां पैर खराब हो गया. बाद में उनका एडमिशन दर्जीलिंग के एक स्कूल में करा दिया गया, जहां उन्होंने हाईजंप शुरू की. बाद में दिल्ली में पढ़ाई की और हाईजंप में सफलता का रिकॉर्ड बनाने लगे. उन्होंने 12 साल की उम्र में ही एशियन गेम्स में वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्ड मेडल जीता. इस बार पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है.
Source : News Nation Bureau