Bajrang Punia Padma Shri Award Return : भारत के दिग्गज पहलवान बजरंग पूनिया ने चौकाने वाला फैसला लिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पद्मश्री अवॉर्ड वापस लौटा दिया है. असल में, बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष चुने जाने पर विवाद छिड़ गया है. अभी साक्षी मलिक और विनेश फोगाट को कुश्ती छोड़े एक दिन भी नहीं बीता था कि अब बजरंग पूनिया ने सीधे पीएम मोदी को पत्र लिखकर पद्मश्री अवॉर्ड को वापस करने का ऐलान कर दिया है.
बजरंग पूनिया ने लिखा पत्र
लगभग एक साल से बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक सहित पहलवानों का एक तबगा भारतीय कुश्ती महासंघ में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. बृजभूषण पर मनमानी चलाे, तानाशाही करने और महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगा है. पहलवानों के लंबे संघर्ष के बाद हाल ही में बृजभूषण ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दिया था. लेकिन, अब फिर जो नए अध्यक्ष बनाए गए, वह भी बृजभूषण खेमे के ही हैं. ऐसे में इन रेसलर्स द्वारा चल रहा आंदोलन पूरी तरह से नाकाम होता दिख रहा है. इन सबसे ही तंग आकर बजरंग पूनिया ने पद्मश्री लौटाने की एनाउंसमेंट की है.
आपको बता दें, अभी एक दिन पहले ही बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह को कुश्ती महासंघ (WFI) का अध्यक्ष बनाए जाने की वजह से साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया.
2019 में बजरंग पूनिया को मिला था पद्मश्री
मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूँ. कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है. यही मेरी स्टेटमेंट है। 🙏🏽 pic.twitter.com/PYfA9KhUg9
— Bajrang Punia 🇮🇳 (@BajrangPunia) December 22, 2023
बजरंग पूनिया ने अपने पत्र में काफी कुछ लिखा है. जिसे आप ऊपर पढ़ सकते हैं. मगर, आपको बता दें, पद्मश्री लौटाने को लेकर उन्होंने लिखा- '2019 में मुझे पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया था. खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ. लगा था कि जीवन सफल हो गया. मगर, आज मुझे बहुत ज्यादा बुरा लग रहा है और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं. कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है. खेल हमारी महिला खिलाड़ियों के जीवन में जबरदस्त बदलाव लेकर आए थे. पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियां एक साथ खेलते दिखेंगे. लेकिन पहली पीढी की महिला खिलाड़ियों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका. हर गांव में आपको लड़कियां खेलती दिख जाएंगी और वे खेलने के लिए देश विदेश तक जा रही हैं.'
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Source : Sports Desk