हाल ही में सोशल मीडिया पर 15 साल की एक लड़की ज्योति कुमारी लोगों का ध्यान खींच रही है क्योंकि उसने अपने पिता को साइकिल के पीछे बैठकर सात दिन में 1200 किलोमीटर का सफर तय किया. इस समय प्रवासी मजदूरों की लॉकडाउन के कारण घर वापसी की कई खबरें देखी जा सकती हैं. इसी तरह ज्योति कुमारी की इस खबर ने भारतीय साइकिलिंग महासंघ (सीएफआई) का ध्यान अपनी तरफ खींचा. अब इस लड़की को ट्रायल के लिए बुलाया गया है ताकि वो आईजीआई स्टेडियम में राष्ट्रीय साइकिलिंग अकादमी में ट्रेनिंग कर सके.
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सीएफआई चेयरमैन ओंकार सिंह ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा, "हमने उनसे कल बात की. हम उन्हें जल्द से जल्द बुलाने के बारे में सोच रहे हैं. वह तैयार हैं लेकिन अभी तो वह क्वारंटाइन में हैं." सिंह ने कहा कि सीएफआई के लिए कुछ नई बात नहीं है, "हम उन्हें अपने सिस्टम में लाना चाहते हैं और उन्हें देखना चाहते हैं. हम उन्हें ट्रायल्स के लिए बुलाना चाहते हैं. जहां कं प्यूटराइज्ड बाइक पर उनका टेस्ट होगा. यहां किसी भी साइकलिस्ट का इसी तरह टेस्ट किया जाता है. यह सही तरह से बताता है कि खिलाड़ी कैसा प्रदर्शन कर सकता है."
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सिंह ने कहा, "एक बार जब उन्होंने टेस्ट पास कर लिया तो वह हमारे साथ होंगी. हम उन्हें एकदम से उठा कर नहीं ला रहे हैं. 1200 किलोमीटर साइकिल चलाना आसान नहीं है और इसके लिए उनके अंदर निश्चित तौर पर कुछ खास होगा. अकादमी में हमारे पास जो युवा हैं उनमें से किसी का भी साइकिलिंग का इतिहास नहीं है. उन्हें सिर्फ उनके फिजिकल पैरामीटर पर चुना गया है. इसलिए इसमें कुछ नया नहीं है."
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कोरोनावायरस के कारण मार्च के मध्य से सभी तक की खेल गतिविधियां बंद हैं और स्टेडियम तथा खेल परिसर भी बंद थे. हालांकि गृह मंत्रालय ने 17 मई को जारी की गई गाइडलाइंस में स्टेडियम और खेल परिसर खोलने की इजाजत दे दी थी. भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने गुरुवार को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू की है जिसमें ट्रेनिंग शुरू करने को लेकर नियम बनाए गए हैं. सिंह ने कहा कि इन सभी चीजों को मानते हुए वह एक महीने के अंदर अकादमी खोलने की प्लानिंग कर रहे हैं.
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अकादमी खोलने के बारे में सिंह से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "अगले 15-20 दिन में, या ज्यादा से ज्यादा एक महीने में. उन्होंने एसओपी जारी कर दी है तो मुझे लगता है कि एक महीने का समय काफी होगा." जब लॉकडाउन लागू हुआ तो ज्योति कुमारी गुरुग्राम में फंसी थीं. उनके पिता ऑटो रिक्शा ड्राइवर हैं लेकिन चोटिल हो गए थे. इसी बीच लॉकडाउन के कारण उनके पास आय के साधन भी नहीं बचे थे. इसी कारण ज्योति ने अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर 1200 किलोमीटर का सफर तय किया और बताया जाता है कि वे 16 मई को अपने गांव पहुंचे.
Source : IANS