पैरालंपिक 2016 में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी दीपा मलिक (Deepa Malik) चोटों के कारण अगले खेलों से हट गई हैं और इसकी जगह तैराकी से जुड़ने पर विचार कर रही हैं. दीपा ने पैरालंपिक 2016 में गोला फेंक में रजत पदक जीता था लेकिन उन्होंने खुलासा किया है कि तोक्यो में 25 अगस्त 2020 से होने वाले अगले पैरालंपिक में उनके वर्ग में गोला फेंक और भाला फेंक की स्पर्धाएं नहीं हैं.
दीपा ने सोमवार देर रात संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह काफी दुर्भाग्यशाली है कि 2020 (पैरालंपिक) और आगामी विश्व चैंपियनशिप में 53 वर्ग में मेरी स्पर्धाएं गोला फेंक और भाला फेंक नहीं है. मेरे वर्ग में सिर्फ चक्का फेंक की स्पर्धा की पेशकश की जा रही है. ’’दीपा ने बांद्रा-कुर्ला परिसर में भारत के पूर्व स्पिनर नीलेश कुलकर्णी द्वारा स्थापित ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट’ के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया.
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तैराकी से जुड़ने की उत्सुकता पर दीपा ने कहा कि उन्होंने चक्का फेंक का अभ्यास करने का प्रयास किया था लेकिन रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण आगे नहीं बढ़ पाईं. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने चक्का फेंक सीखने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया जो मेरा मुख्य खेल नहीं है. 2020 (पैरालंपिक) की तैयारी के दौरान मैंने जकार्ता में एशियाई खेल 2018 में कांस्य पदक (चक्का फेंक में) जीता. ’’
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दीपा ने कहा, ‘‘लेकिन दुर्भाग्य से चक्का फेंक से मुझे ‘सर्वाइकल क्षेत्र’ में चोट लग रही थी. मेरी रीढ़ की हड्डी की चोट भी बड़ी थी. चक्के के लिए होने वाली मूवमेंट और झटका मेरे शरीर के अनुकूल नहीं थे. इसलिए मुझे पीछे हटना पड़ा. ’’
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यह पैरा एथलीट हालांकि समुद्री तैराकी से जुड़ने को लेकर उत्सुक है.दीपा ने कहा, ‘‘हालांकि मैं अपनी फिटनेस और ट्रेनिंग नहीं रोकना चाहती. मैं इस साल तैराकी करने की सोच रही हूं जिससे मैं पहले जुड़ी हुई थी. तैराकी पैरालंपिक के स्तर की नहीं लेकिन राष्ट्रीय स्तर की जिससे कि मैं ट्रेनिंग जारी रख सकूं. ’’
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उन्होंने कहा, ‘‘इस साल मैं समुद्री तैराकी में निजी रिकार्ड बनाना चाहती हूं लेकिन प्रतिस्पर्धी तौर पर नहीं और अपनी जिंदगी में एक और उपलब्धि हासिल करना चाहती हूं. सिर्फ इतनी सी बात है कि समुद्र पीछे छूट गया है और मैं समुद्र के पानी को छूना चाहती हूं. ’’