डिएगो मैराडोना के निधन से दुनिया भर के फुटबॉल प्रेमियों में शोक की लहर है. पिछले वर्ल्ड कप में भी उनकी तबीयत खराब हो गई थी. तब उन्हें एग्जीक्यूटिव बॉक्स में देखा गया था और उसी दौरान अर्जेंटीना ने नाइजीरिया को हराया था. फुटबॉल से संन्यास लेने के बाद मैराडोना नशे की गिरफ्त में चले गए थे. साल 2000 में मैराडोना ने इतनी अधिक कोकीन ले ली कि उनका हार्ट फेल होते-होते बचा था. डॉक्टरों का कहना था कि तब डिएगा मैराडोना की जान भी जा सकती थी. कई साल तक उन्हें रिहैबिलिटेशन सेंटर में रखना पड़ा था. शराब के अत्यधिक सेवन के चलते उन्हें 2007 में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. 2005 में वेट लॉस करने के लिए उनका ऑपरेशन कराया गया था.
पिछले महीने 30 अक्टूबर को ही मैराडोना ने अपना 60वां जन्मदिन मनाया था. 1986 के फुटबॉल वर्ल्ड कप में डिएगो मैराडोना अर्जेंटीना के कैप्टन थे और उस टूर्नामेंट में वे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के अलावा गोल्डन बॉल का खिताब जीते थे. इसी टूर्नामेंट में उन्होंने विश्व प्रसिद्ध गोल दागा था, जिसे 'हैंड ऑफ गॉड' का नाम दिया गया था. इसी गोल ने इंग्लैंड को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया था.
डिएगो मैराडोना ने कुल चार FIFA वर्ल्ड कप टूर्नामेंट खेले थे. मैराडोना ने बोका जूनियर्स, नपोली, बार्सिलोना जैसे क्लब से फुटबॉल खेला था. मैराडोना ने कुल 91 मैच खेले और 34 गोल दागे थे. मैराडोना ने 16 साल की उम्र में अपना प्रोफेशनल करियर शुरू किया था. मैराडोना की क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिडेल कास्त्रो से दोस्ती के चर्चे आम थे. मुश्किल समय में कास्त्रो ने मैराडोना की मदद भी की थी. कास्त्रो के निधन पर मैराडोना ने उन्हें पिता समान बताया था.
Source : News Nation Bureau