मैदान पर आपा नहीं खोने की अपनी प्रवृत्ति के कारण महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेटरों के ही नहीं बल्कि भारतीय हाकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) के भी प्रेरणास्रोत हैं और ओलंपिक की तैयारी के लिये वह उनसे काफी कुछ सीखने की कोशिश कर रहे हैं.
मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) ने बेंगलुरू से भाषा से बातचीत में कहा ,'मैं बतौर कप्तान धोनी से बहुत कुछ सीखता हूं. वह मैदान पर शांत रहते हैं और ऐसे में फैसले सही रहते हैं. हर खिलाड़ी से बात करते हैं और हौसलाअफजाई करते रहते हैं.'
मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) ने कहा ,' मैं जब हाकी इंडिया लीग में रांची के लिये खेलता था तो वह टीम के सह मालिक थे. उनसे बात करके बहुत अच्छा लगता था.'
मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) ने कहा ,' वह मैदान पर और बाहर ‘कूल’ रहते हैं. कप्तान के शांतचित्त रहने से बहुत फायदा मिलता है. आक्रामकता भी जरूरी है लेकिन दिमाग कूल रहना चाहिये. मैं कोशिश करता हूं कि उनकी तरह मैदान पर आचरण कर सकूं.'
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पिछले महीने भुवनेश्वर में एफआईएच सीरिज फाइनल जीतकर भारतीय हाकी टीम ने नवंबर में होने वाले ओलंपिक क्वालीफायर में जगह बनाई. भारतीय टीम का लक्ष्य वहां जीत दर्ज करके अगले साल तोक्यो में होने वाले ओलंपिक में जगह बनाना है. फिलहाल टीम बेंगलुरू में सात जुलाई से 12 अगस्त तक अभ्यास शिविर में भाग ले रही है.
भारतीय हाकी टीम ने क्रिकेट विश्व कप में भारत के सारे मैच देखे और मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) का मानना है कि खिताब जीतना ही टीम की श्रेष्ठता का पैमाना नहीं होना चाहिये.
मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) ने कहा ,' क्रिकेट भी एक खेल है और हर खेल में उतार चढाव आते हैं. कोई टीम हारने के लिये नहीं खेलती. हमारी टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की और ग्रुप चरण में शीर्ष पर थी. एक दिन खराब किसी का भी हो सकता है. हाकी में भी होता है और हमें पता है कि कैसा लगता है. टीम को आपके समर्थन की जरूरत होती है.'
ओलंपिक क्वालीफायर की तैयारियों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,' हम अगस्त में जापान दौरे पर जायेंगे और उसके बाद सितंबर में हालैंड और बेल्जियम से खेलेंगे. पिछले कुछ अर्से में स्ट्राइकरों, गोलकीपरों और डिफेंडरों के लिये अलग अलग कार्यशालायें हुई जिनका बहुत फायदा मिला.'
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कोच ग्राहम रीड के साथ तालमेल के सवाल पर मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) ने कहा ,' खिलाड़ी और कोच दोनों काफी सहज महसूस कर रहे हैं. उनका फोकस टीम के रूप में अच्छे प्रदर्शन पर है. फिनिशिंग बेहतर हो , मौके भुनायें. आपसी संवाद में भी कोई दिक्कत नहीं है. विदेशी कोचों के साथ हम पहले भी काफी काम कर चुके हैं.'
उन्होंने कहा ,' कोच का एक ही मंत्र है कि भले ही हम आस्ट्रेलिया से खेलें या किसी निचली रैंकिंग वाली टीम से , तेवर और मानसिकता समान रहनी चाहिये. हमेशा उसी सोच से खेलो जैसे ऑस्ट्रेलिया से खेल रहे हैं.'
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उन्होंने कहा ,' उनका कहना है कि गलतियां खेल का हिस्सा है लेकिन उसके बाद का एक्शन अहम है. गलती सभी करते हैं लेकिन उस पर सोचते ना रहे और आगे बढें. मैच में गलतियां होंगी लेकिन तेजी से वापसी जरूरी है.
Source : BHASHA