हॉकी प्रशंसकों के लिए शनिवार का दिन खुशी की खबर के साथ खत्म हुआ क्योंकि भारत की पुरुष एवं महिला हॉकी टीमों ने कड़ी मेहनत के बाद अगले साल जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया. यहां के कलिंगा स्टेडियम में खेले गए दो चरण के ओलम्पिक क्वालीफायर मैचों में भारत की महिला टीम ने अमेरिका को और पुरुष टीम ने रूस को एग्रीगेट स्कोर के दम पर मात दे ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया.
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पुरुष टीम एक ओर जहां दोनों चरणों में एकतरफा जीत के साथ रूस को 11-3 के एग्रीगेट स्कोर से हराने में सफल रही. वहीं, महिला टीम को हालांकि परेशानी आई. शुक्रवार को खेले गए पहले चरण में रानी रामपाल नेतृत्व वाली भारत की महिला टीम ने अमेरिका को 5-1 से हराया था, लेकिन दूसरे चरण में उसे अमेरिका ने 4-1 से हरा दिया, लेकिन एग्रीगेट स्कोर में भारतीय महिला टीम ने 6-5 से जीत दर्ज करते हुए तीसरी बार ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया.
महिला टीम के लिए ओलम्पिक खेलना बड़ी बात रही है. अगर इतिहास देखा जाए तो भारत की महिला टीम अधिकतर मौकों पर ओलम्पिक की जमीन से दूर ही रही है. रियो ओलम्पिक-2016 में टीम ने क्वालीफाई जरूर किया था लेकिन वो मौका 36 साल बाद आया था.
यह तीसरा मौका होगा है जब भारत की महिला टीम खेलों के महाकुंभ में खेलेगी. भारत ने पहली बार मास्को ओलम्पिक-1980 में कदम रखा था जहां वो चौथे स्थान पर रही थी, लेकिन इसके बाद उसे लंबा इंतजार करना पड़ा. हर बार ओलम्पिक की पताका महिला टीम से दूर रही. हालांकि, 2016 में भारत ने इसे अपने गले से लगाया। टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और ब्राजीलियाई जमीन पर भारतीय महिलाएं 12वें स्थान पर रही.
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इस बार भी हालांकि उसके लिए राह आसान नहीं रही. ओलम्पिक क्वालीफायर में भारतीय महिला टीम का सामना अमेरिका से था. पहले चरण में भारत ने 5-1 से आसान जीत दर्ज की, लेकिन दूसरे चरण में अमेरिका का दबदबा रहा. 48वें मिनट तक वह 4-0 से आगे थी और एग्रीगेट स्कोर 5-5 से बराबर था, लेकिन कप्तान रानी रामपाल ने 49वें मिनट में गोल कर भारत को एग्रीगेट स्कोर में 6-5 से आगे कर दिया और टीम ने तीसरी बार ओलम्पिक का टिकट कटाया.
पुरुष टीम का हॉकी में दबदबा रहा है. भारत के हिस्से आठ स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक है, लेकिन ऐसा भी समय रहा है जब ओलम्पिक में लगातार छह स्वर्ण पदक जीतने वाली पुरुष टीम ओलम्पिक में खेल नहीं पाई थी. 2008 में बीजिंग में खेले गए ओलम्पिक में भारत की पुरुष टीम क्वालीफाई करने में असमर्थ रही थी.
इसके बाद पुरुष टीम ने अगले दो ओलम्पिक लंदन-2012 और रियो-2016 के लिए क्वालीफाई किया. हालांकि, इन दोनों में टीम का प्रदर्शन खास नहीं रहा. लंदन में टीम 12वें स्थान पर रही थी तो वहीं रियो में आठवें स्थान पर. लंदन में किया गया प्रदर्शन ओलम्पिक इतिहास में भारतीय टीम का सबसे खराब प्रदर्शन था. वहीं रियो में ऐसा दूसरा मौका था जब भारत आठवें स्थान पर रहा हो। इससे पहले 1996 एटलांटा ओलम्पिक में भारत को आठवां स्थान मिला था. अब चूंकि दोनों टीमें ओलम्पिक में जगह बना चुकी है तो उम्मीद यही होगी कि खेलों के महोत्सव में पदक अपने नाम कर सकें.