महिला हॉकी में बदलाव की गवाह बनकर खुश हूं: रानी रामपाल

भारतीय टीम इस समय टोक्यो ओलम्पिक की तैयारी कर रही है. पुरुष टीम के पास जहां एफआईएच प्रो लीग का रेडीमेड कार्यक्रम है वहीं महिला टीम के पास ऐसा कोई टूर्नामेंट नहीं है.

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Sunil Chaurasia
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महिला हॉकी में बदलाव की गवाह बनकर खुश हूं: रानी रामपाल

रानी रामपाल( Photo Credit : https://twitter.com)

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भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल के लिए साल 2020 की शुरुआत शानदार रही है. 25 जनवरी को उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिला तो इसके पांच दिन बाद ही वह वल्र्ड गेम्स एथीलट ऑफ द ईयर चुनी गईं. वह इस सम्मान को पाने वाली पहली हॉकी खिलाड़ी हैं. उन्हें ये दोनों सम्मान भारत को ओलम्पिक कोटा दिलाने के बाद मिले हैं, जहां रानी ने क्वालीफायर में विजयी गोल किया था. वह हाल ही में न्यूजीलैंड दौरे से लौटी हैं और तब से ही लगातार इंटरव्यू देने में व्यस्त हैं. खिलाड़ियों के लिए लगातार इंटरव्यू देने का मतलब है एक ही बात को लगातार बोलना.

रानी हालांकि इस बात को समझती हैं और जानती हैं कि टीम की कप्तान होने के नाते लोग लगभर हर मौके पर उन्हें सुनना चाहते हैं. रानी ने आईएएनएस से कहा, "जाहिर सी बात है कि यह आसान नहीं रहता, लंबी यात्रा के बाद लगातार बात करना आसान नहीं है, लेकिन लोग आपको सुनना चाहते हैं तो इसका मतलब है कि आप अच्छा कर रहे हो. हम अपने अनुभव साझा करते हैं ताकि दूसरे लोग उनसे सीख सकें. बच्चों के तौर पर हम सभी चाहते थे कि हमारे चेहरे और नाम न्यूज में आएं. अब हमें इसकी कोशिश करनी चाहिए और लुत्फ लेना चाहिए."

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रानी कहती हैं कि ये अवार्ड बताते हैं कि हम भारतीय महिला हॉकी को आगे ले जा रहे हैं. रानी ने कहा, "यह मुश्किल सफर रहा है और ये अवार्ड एक साल के प्रदर्शन के बूते नहीं मिले हैं. ये बताते हैं कि हम कहां पहुंचे हैं. जब से मैंने खेलना शुरू किया है महिला हॉकी काफी बदली है. यह ऐसी बात है जिसे हम आने वाले दिनों में याद रखेंगे. महिला हॉकी को लेकर अब काफी जागरूकता है. लोग अब टीम को जानते हैं और मैच भी देखते हैं."

रानी ने 14 साल की उम्र में 2009 में भारतीय टीम में कदम रखा था. उनसे जब पूछा गया कि तब से क्या बदला है तो उन्होंने कहा, "टीम के साथ मेरे शुरुआती दिनों में हमें मैच खेलने के ज्यादा मौके नहीं मिलते थे. हमें एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों का इंतजार करना पड़ता था. हम कभी कभार ही अच्छी टीमों के खिलाफ खेलते थे." उन्होंने कहा, "ट्रेनिंग भी ज्यादा अच्छे से नहीं होती थी. सरकार ने खिलाडियों का समर्थन किया और इंफ्रस्ट्रक्चर भी मजबूत हुआ है. हमारे पास अब वीडियो एनालिस्ट हैं, जो हमारी गलतियों को सुधारने में मदद करते हैं."

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भारतीय टीम इस समय टोक्यो ओलम्पिक की तैयारी कर रही है. पुरुष टीम के पास जहां एफआईएच प्रो लीग का रेडीमेड कार्यक्रम है वहीं महिला टीम के पास ऐसा कोई टूर्नामेंट नहीं है. मार्च में महिला टीम को चीन का दौरा करना था लेकिन कोरोनावायरस के चलते यह दौरा रद्द हो गया.

उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि हम इस साल प्रो लीग में क्या नहीं खेल रहे हैं. कोच और एचआई ने हमारा कार्यक्रम बनाया है. प्रो लीग में खेलने से हमें मदद मिलती है, क्योंकि वहां हम अच्छी टीमों के खिलाफ खेलते हैं. वहीं हमें इस दौरान ज्यादा सफर भी करना होता है, जो हमारी तैयारियों पर असर डालता है, इसलिए यह दोनों तरह से काम करती है."

Source : IANS

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