शानदार खेल दिखाना हर खिलाड़ी का सपना होता है. और हर खिलाड़ी शानदार काम दिखाता है तो हमारे देश में महान खिलाड़ियों को पुरस्कार दिया जाता है. पुरस्कार में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न (major dhyanchand khel ratna) , अर्जुन पुरस्कार (arjuna award) और द्रोणाचार्य पुरस्कार शामिल हैं. और ये पुरस्कार राष्ट्रपति की तरफ से दिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सभी पुरस्कार की शुरुआत कब हुई थी, और पुरस्कार के साथ कितनी राशी दी जाती है. तो चलिए आज आपको बताते हैं इसके बारे में. जैसा आप जानते हैं कि इस साल प्रधानमंत्री मोदी ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया था.
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न (major dhyanchand khel ratna)
सबसे पहले बात करते हैं मेजर ध्यानचंद खेल रत्न की. मेजर ध्यानचंद खेल रत्न को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की याद के तौर पर दिया जाता है. भारत में ये सबसे बड़ा खेल पुरस्कार है. आपको बताते चलें कि ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद को वर्ष 1991-92 में पहली बार खेल रत्न से सम्मानित किया गया था. जैसा आप जानते हैं कि इस साल प्रधानमंत्री मोदी ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया था.
अर्जुन पुरस्कार (arjuna award)
अर्जुन पुरस्कार की बात करें तो ये खेल पुरस्कार की शुरुआत 1961 में हुई थी. मेजर ध्यानचंद खेल रत्न के बाद ये सबसे बड़ा पुरस्कार है. ये पुरस्कार लगातार 4 साल तक बेस्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है. पुरस्कार के रूप में 15 लाख की राशि दी जाती है. 1961 में इस पुरस्कार को छह खिलाड़ियों ने अपने नाम किया.
द्रोणाचार्य पुरस्कार
अब बात आती है द्रोणाचार्य पुरस्कार की. साल 1985 में द्रोणाचार्य पुरस्कार की शुरुआत हुई थी. द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रशिक्षकों यानी ट्रेनर्स को उनकी ट्रेनिंग के लिए दिया जाता है. जिनकी ट्रेनिंग के जरिए खिलाड़ी अपने नाम कई मेडल जीत कर लाते हैं. नए घोषणा में द्रोणाचार्य विजेताओ कों इनाम की राशि के तौर पांच से 15 लाख रूपये कर दी है. द्रोणाचार्य पुरस्कार केवल उन कोचों को मिलता है, जिन्होंने लगातार तीन सालों तक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय लेवल पर शानदार ट्रेनिंग का काम करा हो.
Source : Sports Desk