Olympics 2020 : यह साल तेजी से बीतता जा रहा है. अगला साल ओलंपिक खेलों (Olympic Games) का है. भारत के लिए आने वाले साल खास होगा क्योंकि वह टोक्यो (Tokyo Olympics 2020) में ओलंपिक खेलों में अपनी हिस्सेदारी के 100 साल पूरे करेगा. भारत टोक्यो में कितने पदक जीतेगा, यह कहना मुश्किल है लेकिन बीते एक शताब्दी में ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. इतना निराशाजनक की कुछ खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत प्रदर्शन के आधार पर 130 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत को पीछे छोड़ दिया है. इनमें कई नाम शामिल हैं, लेकिन एक नाम खास है क्योंकि इसने अकेले दम पर ओलंपिक में ठीक उतने ही पदक जीते हैं, जितने भारत ने बीते 100 साल में जीते हैं. इन खिलाड़ियों में सबसे बड़ा और पहला नाम माइकल फेल्प्स (Michael Phelps) का है. अमेरिका का यह चैम्पियन तैराक (swimmer champion Michael Phelps) अपने 12 साल के पेशेवर करियर में ओलंपिक खेलों में अकेले इतने पदक जीत चुका है, जितना भारत ने 100 साल (Indias Olympic medal in 100 years) के ओलंपिक इतिहास में नहीं जीता है.
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भारत ने पहली बार 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में हिस्सा लिया था. अब टोक्यो में 2020 (Tokyo Olympics 2020) में होने जा रहे ओलंपिक खेलों में भारत खेलों के इस महाकुम्भ में अपनी हिस्सेदारी के 100 साल पूरे करेगा. भारत ने बीते 100 सालों में अब तक कुल 28 पदक जीते हैं, जिनमें नौ स्वर्ण, सात रजत और 12 कांस्य शामिल हैं. भारत ने सबसे अधिक आठ स्वर्ण हॉकी में जीते हैं, जबकि भारत को एकमात्र व्यक्तिगत स्वर्ण 2008 में बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाजी में अभिनव बिंद्रा ने दिलाया था.
अब अगर फेल्प्स की बात करें तो 2004 के एथेंस ओलंपिक से लेकर 2016 के रियो ओलंपिक तक इस अमेरिकी तैराक ने कुल 28 पदक जीते हैं, जिनमें 23 स्वर्ण शामिल हैं. फेल्प्स ने इसके अलावा तीन रजत और दो कांस्य पदक भी जीते हैं. 'फ्लाइंग फिश' और 'द बाल्टीमोर बुलेट' नाम से मशहूर फेल्प्स ओलंपिक इतिहास के सबसे डेकोरेटेड खिलाड़ी हैं.
एथेंस ओलंपिक की बात की जाए तो भारत ने एक रजत जीता था, जो उसे निशानेबाजी में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने दिलाया था, जबकि फेल्प्स ने इस साल पूल में आग लगाते हुए छह स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीते थे. इसी तरह बीजिंग ओलंपिक-2008 में भारत ने एक स्वर्ण सहित कुल तीन पदक जीते थे. भारत को निशानेबाजी में सोना मिला था जबकि मुक्केबाजी और कुश्ती में कांस्य मिला था. इस साल फेल्प्स ने आठ स्वर्ण जीते थे.
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लंदन ओलंपिक की बात की जाए तो भारत ने उस साल दो रजत और चार कांस्य जीते थे. भारत को निशानेबाज विजय कुमार और पहलवान सुशील कुमार ने रजत दिलाया था, जबकि भारत को शूटिंग, बैडमिंटन, मुक्केबाजी और कुश्ती में कांस्य मिले थे. दूसरी ओर, फेल्प्स ने इस साल चार स्वर्ण और दो रजत जीते थे. इसके अलावा रियो ओलंपिक में भारत ने दो पदक (रजत बैडमिंटन में और कांस्य कुश्ती में) पदक जीते थे जबकि फेल्प्स ने पांच स्वर्ण और एक रजत जीता था.
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फेल्प्स की बात करें तो उनकी व्यक्तिगत सफलता कई देशों की सफलता से कहीं बेहतर है. उदाहरण के तौर पर 2004 में फेल्प्स ने जब पहली बार एथेंस ओलंपिक में भाग लिया था तो उन्होंने छह स्वर्ण और कांस्य पदक जीते थे. फेल्प्स अगर कोई देश होते तो 2004 की पदक तालिका में ब्राजील (5 स्वर्ण, दो रजत और तीन कांस्य) से ऊपर और ग्रीस (6 स्वर्ण, छह रजत और चार कांस्य) से नीचे 15वें स्थान पर होता. इस साल भारत को संयुक्त रूप से 65वां स्थान मिला था.
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इसी तरह 2008 के बीजिंग ओलंपिक में फेल्प्स ने आठ स्वर्ण जीते थे. इस आधार पर वह पदक तालिका में फ्रांस (सात स्वर्ण) से ऊपर और जापान (9 स्वर्ण) से नीचे नौवें स्थान पर होते. इस साल भारत को 51वां स्थान मिला था. लंदन-2012 में फेल्प्स अपने पदकों के आधार पर पदक तालिका में 20वें स्थान पर होते. रियों में फेल्प्स ने पांच स्वर्ण और एक रजत जीता था और इस आधार पर वह 19वें स्थान पर होते. 2012 में भारत को 57वां और 2016 में संयुक्त रूप से 67वां स्थान मिला था.
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फेल्प्स ने इसके अलावा विश्व चैम्पियनशिप में भी लगभग इतने ही पदक जीते हैं. उनका करियर 60 से अधिक स्वर्ण पदकों से सुशोभित है और यही कारण है कि 30 जून, 1985 में अमेरिका में जन्में फेल्प्स ओलंपिक इतिहास के सर्वकालिक सफल एथलीट हैं. फेल्प्स के नाम ओलंपिक में सबसे अधिक 23 व्यक्तिगत स्वर्ण, किसी एक ओलंपिक में सबसे अधिक 13 स्वर्ण, किसी एक ओलंपिक में सबसे अधिक 16 पदक जीतने का रिकार्ड है. वह लगातार चार बार ओलंपिक खेलों में सबसे सफल एथलीट रहे जबकि भारत 100 साल के इतिहास में 50 पदकों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका है. भारत ही नहीं, लगभग 20 ऐसे देश हैं, जिन्होंने ओलंपिक में दर्जनों बार हिस्सेदारी के बावजूद एक भी पदक नहीं जीता है.
Source : आईएएनएस