भारत के पैरा एथलीट विनोद कुमार अब दो साल तक किसी खेल गतिविधि में भाग नहीं ले सकेंगे. बोर्ड ऑफ अपील ऑफ क्लासिफिकेशन ने उनके ऊपर यह प्रतिबंध लगाया है. उनके ऊपर जानबूझकर अपने बारे में गलत तथ्य प्रस्तुत करने का आरोप लगा है. उनके ऊपर आरोप है कि टोक्यो 2020 पैरालंपिक्स में उन्होंने अपने बारे में गलत बताया. उनकी शारीरिक अक्षमताओं के बारे में गलत जानकारी दी. इस कारण उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है. यह सूचना एएनआई ने दी.
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बता दें कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व जवान विनोद ने पैरालंपिक्स में एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए 19.91 मीटर का थ्रो कर तीसरा स्थान हासिल किया था और कांस्य पदक जीता था. उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में 19.91 मीटर का थ्रो किया था लेकिन बाद में गलत तथ्य प्रस्तुत करने के आरोप लगे और उनका ब्रांज मेडल रोक दिया गया.
टूर्नामेंट के पैनल की ओर से क्लासिफिकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य’ पाए जाने के बाद उन्होंने एफ52 स्पर्धा का कांस्य पदक गंवा दिया. एक प्रतिस्पर्धी ने उनके ब्रांज जीतने के नतीजे को चुनौती दी थी. बाद में आयोजकों ने एक बयान में कहा था कि पैनल ने पाया कि एनपीसी (राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति) भारत के एथलीट विनोद कुमार को ‘स्पोर्ट क्लास’ आवंटित नहीं कर पाया और खिलाड़ी को ‘क्लासिफिकेशन पूरा नहीं किया’ (सीएनसी) चिन्हित किया गया.’ इसके अनुसार, ‘एथलीट इसलिए पुरुषों की एफ52 चक्का फेंक स्पर्धा के लिए अयोग्य है और स्पर्धा में उसका नतीजा अमान्य है।’ एफ52 स्पर्धा में वे एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है. अब दो साल तक उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया है.
Source : Sports Desk