जापान अपनी आधुनिकता और रचानात्मकता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. अगले साल जापान में ही खेलों के महाकुम्भ यानि ओलम्पिक और पैरालम्पिक खेलों का आयोजन होने जा रहा है. इन खेलों में पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है. यह पदक हर खिलाड़ी अपने देश में गर्व से धारण करता है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ होगा कि पदक किसी भी देश का खिलाड़ी जीते उसमें जापान के वासियों की छाप रहेगी. दरअसल, इंटरनेशनल स्पोर्ट्स प्रेस एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक जापान ने ओलम्पिक और पैरालम्पिक खेलों के लिए जो पदक तैयार किए हैं वे देश में चलाए गए एक विशेष अभियान का हिस्सा हैं, जिसमें जापान के 90 प्रतिशत शहर, गांव और कस्बों का योगदान रहा है.
ये भी पढ़ें- PKL-7: तमिल थलाइवाज को ले डूबी मंजीत छिल्लर की छोटी-सी चूक, 1 अंक से जीती दिल्ली
जापान ने एक अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2109 तक एक विशेष अभियान चलाया था, जिसके तहत जापान के लोगों ने अपने घर से कई तरह के छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण दान में दिए और उन्हें रिसाइकल कर ओलम्पिक आयोजन समिति ने खेलों के पदक तैयार किए हैं. इस मुहीम को 'टोक्यो 2020 मेडल प्रोजेक्ट' नाम दिया गया था. इसलिए खेलों में दिए जाने वाले तकरीबन 5000 पदकों को दान में दिए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सहायता से बनाया गया है जो खिलाड़ियों की गले की शोभा बनेंगे.
ये भी पढ़ें- ICC अध्यक्ष मनोहर जोशी को आम्रपाली से मिला विवादास्पद भुगतान, देनी पड़ी सफाई
इन उपकरणों को जब तोड़ा गया और उनमें से निकली धातुओं को जब पिघलाया गया तो इस प्रक्रिया में 32 किलोग्राम सोना, 3500 किलोग्राम चांदी और 2300 किलोग्राम कांसा निकाला, जिससे पदक तैयार हुए हैं. इस पर आयोजकों ने कहा, "हमें उम्मीद है कि हमारा छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रिसाइकल करने और पर्यावरण को बचाने का प्रयास टोक्यो ओलम्पिक-2020 का विरासत बनेगा." इतना ही नहीं, जापान ने इन पदक के डिजाइन के लिए भी एक प्रतियोगिता रखी थी जिसमें पूरे देश से तमाम कलाकारों ने तकरीबन 400 डिजाइन भेजे और अंतत: एक डिजाइन को चुना गया. इस प्रतियोगिता की विजेता जुनिची कावानिशी बनीं.
Source : IANS