Tokyo Olympic 2020 : पहली बार हुआ ऐसा, जब महिला और पुरुष दोनों टीमों ने....

Tokyo Olympics 2020 : भारतीय महिला टीम अपने तीसरे ओलंपिक में खेल रही है. इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि महिला हॉकी टीम ने ये कमाल किया हो. न जाने कितनी ही बार ऐसा हुआ कि हमारी हॉकी टीम ओलंपिक के लिए क्‍वालीफाई तक नहीं कर पाई थी.

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Pankaj Mishra
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women hockey team ( Photo Credit : reuters)

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Tokyo Olympics 2020 : भारतीय महिला टीम अपने तीसरे ओलंपिक में खेल रही है. इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि महिला हॉकी टीम ने ये कमाल किया हो. न जाने कितनी ही बार ऐसा हुआ कि हमारी हॉकी टीम ओलंपिक के लिए क्‍वालीफाई तक नहीं कर पाई थी. इस बार टीम ने न केवल क्‍वालीफाई किया और आज टीम उस मुकाम पर खड़ी है, जहां से पदक से महज एक ही कदम की दूरी पर है. एक मुकाबला और जीतते ही टीम का पदक पक्‍का हो जाएगा. अभी तक भारत इस ओलंपिक में दो पदक अपने नाम कर चुका है. भारतीय पुरुष टीम भी सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है. ओलंपिक के इतिहास में पहली बार भारत की दोनों टीमें सेमीफाइनल में हैं. अब इतना तो करीब करीब पक्‍का लग रहा है कि भारत की झोली में कुछ और पदक जल्‍द ही आने वाले हैं. 

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भारत की महिला हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है. उसने सोमवार को अपने से कहीं अधिक मजबूत तीन बार की ओलंपिक चैम्पियन आस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बना ली है. सबसे खास बात यह है कि महिला टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची है. ओई हॉकी स्टेडियम नॉर्थ पिच -2 पर खेले गए इस एतिहासिक मैच में हाकेरूज नाम से मशहूर आस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ मैच का एकमात्र गोल 22वें मिनट में गुरजीत कौर ने किया. यह गोल पेनाल्टी कार्नर पर हुआ. दुनिया की नौवें नम्बर की भारतीय टीम ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए दुनिया की नम्बर-2 आस्ट्रेलिया को हराया और पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची. भारत अपने तीसरे ओलंपिक में खेल रहा है. मास्को (1980) के 36 साल के बाद उसने रियो ओलंपिक (2016) के लिए क्वालीफाई किया था. मास्को ओलंपिक में महिला हॉकी टूर्नामेंट 25 जुलाई से शुरू होकर 31 जुलाई तक चला था. इसमें सिर्फ छह टीमों ने हिस्सा लिया था. जिम्बाब्वे ने पूल चरण के समापन पर पूल के शीर्ष पर स्वर्ण पदक जीता. चेकोस्लोवाकिया और सोवियत संघ ने क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीता. भारत ने पूल में पांच मैचों में दो जीत हासिल की थी. उसका एक मैच ड्रॉ रहा था जबकि उसे दो मैचों में हार मिली थी. पांच अंकों के साथ भारत अंतिम रूप से चौथे स्थान पर रहा था. इसके बाद भारत ने 2016 के रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया लेकिन वह 12 टीमों के टूर्नमेंट में अंतिम स्थान पर रही थी. भारत को पूल स्तर पर पांच मैचों में सिर्फ एक ड्रॉ नसीब हुआ था.

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टोक्यो ओलंपिक भारतीय हॉकी के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है. महिला टीम के साथ-साथ पुरुष टीम भी सेमीफाइनल में पहुंच गई है. भारतीय हॉकी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि दोनों टीमें मेडल राउंड में पहुंची हैं. पूल स्तर पर लगातार तीन मैच गंवाने के बाद महिलाओं ने जिस तरह से वापसी की और लगातार दो मैच जीतकर अपने लिए नॉकआउट में जाने की जमीन तैयार की. इसके लिए भी हालांकि इनको किस्मत के सहारे की जरूरत थी. ब्रिटेन के हाथों आयरलैंड की हर के साथ यह सहारा मिल गया और इसके बाद उसे आस्ट्रेलिया की मजबूत टीम की बाधा पार करनी थी. भारतीय टीम के पास खोने के लिए कुछ नहीं था उसे बस दिल खोलकर खेलना था और उसने यही किया. आस्ट्रेलिया के हर हमले को नाकाम कर भारतीय टीम ने 22वें मिनट में सफलता हासिल की और महादुर शेरनियों की तरह लड़ते हुए मजबूत हाकीरूज के खिलाफ इस स्कोर का बचाव किया. यह मैच भारतीय हॉकी के इतिहास के सबसे बड़े मैचों में से एक है और इसे सदियों तक याद रखा जाएगा. सेमीफाइनल का परिणाम चाहें जो हो, लेकिन भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया है. अब वह सेमीफाइलन में भी इसी तरह बिना दबाव के खेले तो उसे पदक जीतने से कोई नहीं रोक सकता.

Source : Sports Desk

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