नीरज चोपड़ा, टोक्यो ओलंपिक और भाला फेंक मुकाबला, ये वो कीवर्ड हैं जो कल से ट्रेंड कर रहे हैं. भाले के लिए देश अभी तक सिर्फ मेवाण के वीर योद्धा महाराणा प्रताप को याद करता था. लेकिन इस लिस्ट में अब एक और नाम जुड़ गया है और वो नाम है नीरज चोपड़ा का. हरियाणा के छोरे नीरज चोपड़ा (Gold Medalist Neeraj Chopra) ने 7 अगस्त 2021 दिन शनिवार को टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में गोल्ड जीतकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन कर दिया और इस दिन को भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करा दिया.
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नीरज ने देश को ट्रैक एंड फील्ड में पहला ओलिंपिक मेडल दिलाया है और वो भी सीधा गोल्ड मेडल. 2008 के बाद यह पहला मौका है जब भारत ने ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता हो. नीरज चोपड़ा ने यह उपलब्धि ट्रैक एंड फील्ड के जैवलिन थ्रो में हासिल की है. नीरज चोपड़ा जब मैदान में उतरे तो पूरे देश को भरोसा था कि एक और मेडल हमारे पास आ रहा है. हालांकि वो मेडल गोल्ड ही होगा इसको लेकर थोड़ी दुविधा जरूर थी. नीरज के सामने इस खेल के कई महारथी थे, लेकिन सबको पछाड़ते हुए नीरज ने गोल्ड पर कब्जा कर लिया. और वो कारनामा करके दिखाया जिसे ट्रैक एंड फील्ड में भारत का कोई और खिलाड़ी नहीं कर पाया.
नीरज की इस कामयाबी पर पूरा देश जश्न मना रहा है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर तमाम हस्तियां उन्हें इस कामयाबी के लिए बधाई दे चुकी हैं. हालांकि नीरज चोपड़ा का ओलंपिक में गोल्ड जीतने तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में खुद को इस खेल के लिए तैयार किया और देश की झोली में सालों बाद गोल्ड मेडल डाल दिया. बेटे की इस कामयाबी पर नीरज के पिता सतीश कुमार की आंखों से आंसू निकल पड़े. उन्होंने मीडिया को नीरज के संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा कि 'गोल्ड मेडल जीतने पर हमें अपने बेटे पर गर्व है. हमारे इलाके में खेल की सुविधाओं का अभाव है. वह अपने खेल के लिए घर से 15-16 किलोमीटर दूर जाता था.'
टोक्यो ओलंपिक में शनिवार शाम खेले गए भाला फेंक मुकाबले में नीरज ने अपने पहले प्रयास में 87.03 मीटर की दूरी नापी और लीडरबोर्ड में पहले स्थान पर पहुंच गए. दूसरे प्रयास में नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंका और लीडरबोर्ड पर खुद को मजबूत किया और एक लिहाज से पदक पक्का कर लिया. तीसरे प्रयास में वह 76.79 मीटर की ही दूरी नाप सके. उनका चौथा प्रयास और 5वां प्रयास फाउल जरूर रहा, लेकिन उनको गोल्ड से दूर नहीं कर सका.
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नीरज के पहले गुरू जयवीर ने मीडिया को बताया कि चाचा के डर से नीरज ने स्पोर्ट्स ज्वाइन किया था. शुरुआत में नीरज का वजन ज्यादा था, इसीलिए उनके चाचा ने उनको दौड़ने और एक्सरसाइज करने के लिए मैदान पर भेजा करते थे. जहां वे जेवेलिन थ्रो की प्रेक्टिस भी करने लगे. धीरे-धीरे इस खेल में नीरज को मजा आने लगा. शुरुआत में उनके गांव के जयवीर ने जेवेलिन थ्रो की प्रैक्टिस करवाई. फिर घरवालों से राय लेकर एथलेक्टिस में कैरियर बनाने का फैसला किया और जयवीर के साथ पंचकूला खेल नर्सरी में दाखिला लिया था. इसके बाद वजन कम किया और फिर जेवेलिन थ्रो की मदद से रिकॉर्ड पर रिकार्ड बनाते गए.
HIGHLIGHTS
- नीरज चोपड़ा की कामयाबी से पूरा देश खुश
- टोक्यो ओलंपिक में नीरज ने दिलाया गोल्ड
- हरियाणा के रहने वाले हैं नीरज चोपड़ा