राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारोत्तोलक खुमुकचाम संजीता चानू ने उनके खिलाफ लगे डोपिंग आरोपों को शुक्रवार को खारिज कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएफ) ने गुरुवार को मणिपुर की संजीता को अस्थायी रूप से निलंबित किया।
संजीता को एनाबॉलिक स्टेरॉइड टेस्टोस्टेरॉन के सेवन का दोषी पाया गया, जिसे प्रतिबंधित किया जा चुका है।
संजीता ने 53 किलोग्राम भार वर्ग में कुल 192 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीता था और नया रिकॉर्ड बनाया था। चार साल पहले भी उन्होंने ग्लास्गो में 48 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था।
उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि यह टेस्ट कब हुआ। तीन टेस्ट हुए थे और ऐसे में मुझे नहीं पता कि इसमें नमूना मेरा था या इसमें अदला-बदली हुई है।'
ऐसा कहा जा रहा है कि ये टेस्ट उनके खून और मूत्र के नमूने से हुए हैं।
संजीता का कहना है कि उन्होंने प्रशिक्षण केंद्र के बाहर से किसी भी प्रकार के खाने या पीने की चीज नहीं ली। ऐसे में उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि किस प्रकार उनके नमूनों में यह पदार्थ पाया गया है। वह सच को बाहर लाने के लिए सरकार की मदद ले रही हैं।
कुछ समय पहले संजीता ने सीसीटीवी लगाने की मांग की थी, ताकि उनके करियर को बर्बाद करने वाली बातों पर नजर रखी जा सके।
मणिपुर की सरकार का इस मामले में कदम उठाना बाकी है।
संजीता को इस मामले के सामने आने के बाद लोगों की प्रतिक्रिया में बदलाव नजर आया है। जीतकर आने के बाद हवाईअड्डे पर उनका भव्य स्वागत हुआ था, लेकिन गुरुवार को जब वह वापस लौटीं तो उनका किसी ने स्वागत नहीं किया।
Source : IANS