अंतरराष्ट्रीय भारतीय महिला पहलवान बबीता फोगाट मंगलवार को अचानक बाहरी दिल्ली के नजफगढ़ थाने पहुंच गईं. बिना किसी तामझाम के थाने में पहुंची बबीता ने पुलिस वालों से कहा कि वह इस थाने में तैनात उन महिला पुलिसकर्मियों से मिलने आई हैं, जो पुलिस ड्यूटी देने के साथ-साथ दिन रात मास्क बनाने का भी काम कर रही हैं. इसके बाद उसी थाने में कार्यरत कुछ पुलिस वाले बबीता को उन कमरों में ले गए जहां, महिला पुलिसकर्मी युद्ध स्तर पर तल्लीनता से मास्क सिलने बनाने में जुटी हुई थीं. बबीता कई मिनट तक महिला पुलिस कर्मियों को मास्क बनाते हुए चुपचाप देखती रहीं. साथ मौजूद पुलिस वालों ने जब बबिता के पहुंचने पर मास्क बना रही महिला पुलिसकर्मियों को रोक कर उनका परिचय कराना चाह तो बबीता ने उन्हें रोक दिया.
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बबीता बोलीं, नहीं, मेरा परिचय इतना जरूरी नहीं है इनके लिए, जितना जरूरी समाज के लिए इनके द्वारा किया जा रहा मास्क बनाने का काम है. बबीता काफी देर तक उन खाकी वदीर्धारी महिला पुलिसकर्मियों को चुपचाप खड़ी निहारतीं रहीं. इसी बीच मास्क मैनुफैक्च रिंग रुम में बबिता के साथ मौजूद पुलिस वालों ने कुछ तस्वीरें क्लिक कर लीं. थाने से बाहर निकलते-निकलते बबिता फोगाट ने पुलिस वालों से पूछा, सुना था आप लोग यहां जरूरतमंदों को थाने के अंदर ही खाना बनाकर भी बांट-खिला रहे हो. क्या आज भोजन नहीं बंटना है? बबीता का इतना कहना भर था कि, नजफगढ़ थाने की पूरी पुलिस टीम (महिला पुरुष पुलिसकर्मी) ने देखते-देखते खाना बनाने के लिए अस्थाई रसोई लगा दी.
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थाने में मौजूद अधिकांश महिला-पुरुष पुलिसकर्मी रसोई में काम में जुट गए. कोई आटा मलने लगा. कोई सब्जियां धोने-काटने लगा. ऐसे में भला दंगल गर्ल भी कैसे चूक जाती. लिहाजा जमाने की नजर में मशहूर अंतर्राष्ट्रीय महिला पहलवान बबिता फोगाट खुद भी थाने में बनी पुलिसिया-रसोई के काम में जुट गईं. सब्जी काटी, सो काटी. दंगल गर्ल ने महिला पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर पूड़ियां भी बेलीं और सेकीं. इसके बाद थाना नजफगढ़ पुलिसकर्मियों ने रोजाना की तरह आवाज देकर आसपास रहने वाले लोगों को बुलाकर खाना खिलाकर. बबिता फोगाट ने भूखे पेट लोगों को पुलिस कर्मियों को खाना भी परोसा-खिलाया.
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इस बारे में मंगलवार को आईएएनएस ने पश्चिमी परिक्षेत्र की संयुक्त पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह से बात की. उन्होंने कहा, हां, बबीता फोगाट आईं. काफी देर नजफगढ़ थाने में रहीं. उनके पहुंचने से दिन रात काम में जुटे पुलिसकर्मियों का मनोबल भी बढ़ना लाजिमी है. क्या आप भी बबीता फोगाट के पहुंचने पर थाने में मौजूद थीं? पूछने पर शालिनी सिंह ने कहा, नहीं मैं नहीं पहुंची थी. जानबूझकर नहीं पहुंची. असल और दिन रात मेहनत तो ग्रांउड जीरो स्टाफ कर रहा है. थाने चौकी बैरीकेट्स पर मौजूद पुलिस स्टाफ असली लड़ाई लड़ रहा है कोरोना की कमर तोड़ने के लिए. बबिता की मौजूदगी में मेरे थाने पहुंचते ही स्टाफ का ध्यान हो सकता है, सब मुझमें ही लगा रहता. पता चला कि, प्रोटोकॉल के चलते थाना स्टाफ की भावनाओं और उसकी मेहनत के साथ वो न्याय नहीं हो पाता, जो मेरी अनुपस्थिति में बबिता फोगाट की मौजूदगी से हुआ.
Source : News Nation Bureau