सितंबर में होने वाली विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के लिए शुक्रवार को यहां ट्रायल्स हुए, जिनमें पुरुषों के 65 किलोग्राम भारवर्ग में बजरंग पूनिया के कारण तीन में से दो खिलाड़ियों ने अपना नाम वापस ले लिया. एक खिलाड़ी ने हालांकि आरोप लगाया है कि उन्हें इसी भारवर्ग में लड़ने से रोका गया है. 22 साल के श्रवण तोमर ने कहा कि वह 65 किलोग्राम भारवर्ग में लड़ते हैं लेकिन ट्रायल्स में उनसे 61 या 57 किलोग्राम भारवर्ग में लड़ने को कहा गया. इन दोनों भारवर्गो में से 61 किलोग्राम की ओलम्पिक में जगह नहीं है.
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श्रवण ने कहा, "मैंने ट्रायल्स में उतरने की अपील की थी और फिर मुझे बताया गया कि मेरा नाम 65 किलोग्राम भारवर्ग में रखा गया है. लेकिन दो दिन पहले मुझे बताया गया कि मैं 57 या 61 में लड़ सकता हूं न कि 65 किलोग्राम में." श्रवण ने कहा कि उन्हें 65 किलोग्राम में न लड़ने देने के पीछे कोई कारण नहीं बताया गया. भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के सचिव विनोद तोमर ने इस बात से साफ मना किया है कि श्रवण से किसी और भारवर्ग में लड़ने को कहा था.
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तोमर ने हालांकि यह माना कि श्रवण को यह सलाह दी गई थी कि अगर वह 57 किलोग्राम में लड़ने की हामी भरते हैं तो उनके ट्रायल्स में उतरने की ज्यादा संभावना है. तोमर ने कहा, "हकीकत यह है कि यह खिलाड़ी पिछले डेढ़ साल से गायब था. इस दौरान इस खिलाड़ी ने किसी तरह की ट्रायल्स या राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा नहीं लिया है. अतीत में इनका जो भी प्रदर्शन रहा है वो 57 किलोग्राम में रहा है. इसलिए इस खिलाड़ी के संबंध में जो चर्चा हुई थी उसके मुताबिक उनके पास 65 किलोग्राम में लड़ने की कोई काबिलियत नहीं है और अगर वह 57 किलोग्राम में लड़ना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए कहना चाहिए था."
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तोमर ने कहा कि सिर्फ श्रवण की ही नहीं बल्कि कई और पहलवानों की अर्जी को डब्ल्यूएफआई ने खारिज किया है. तोमर ने कहा, "इन लोगों के पास ट्रायल्स में हिस्सा लेने की काबिलियत नहीं थी. अगर हम सभी अपील को मानने लगें तो कई तरह के खिलाड़ी सामने आ जाएंगे जिनका मकसद सिर्फ यह तमगा हासिल करना है कि उन्होंने बजरंग जैसे खिलाड़ी से मुकाबला किया है."
Source : IANS