विकलांगता एक अभिशाप माना जाता है. बहुत से लोग कहता हैं कि विकलांगता के कारण हम कुछ कर नहीं सकते लेकिन एक शख्स ने बिना हाथों के चार स्वर्ण पदक जीत लिए और कमाल की बात वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया. बचपन में करंट लगने से दोनों हाथ गंवाए लेकिन हार नहीं मानी और आज पूरी दुनिया के सामने अपनी क्षमता का लोहा मनवा लिया. बात हो रही है चीन के पैरा तैराक झेंग ताओ की. उन्होंने टोक्यो में चल रहे पैरालंपिक्स में अपना चौथा स्वर्ण पदक जीत लिया है. झेन ताओ का जन्म चीन में 25 दिसंबर 1990 को हुआ था. वह स्वस्थ पैदा हुए थे लेकिन एक हादसे में उनके दोनों हाथ चले गए. उनके दोनों हाथों में करंट लग गया और दोनों हाथ गंवाने पड़े. परिवार के लिेए यह दुख का समय था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने तैराकी में भविष्य आजमाना शुरू किया. 13 वर्ष की उम्र में उन्होने पैरा तैराक के रूप में तैराकी सीखनी शुरू की. उन्होंने अपनी प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया.
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जिस ताओ को लोग कभी दर्द भरी नजर से देखते थे, उसने पदकों की झड़ी लगाना शुरू कर दिया. साल 2012 में हुए लंदन पैरालंपिक में 100 मीटर बैक स्ट्रोक स्विमिंग में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा 50 मीटर फ्रीस्टाइल और 200 मीटर मिडले स्विमिंग में कांस्य पदक जीते. इसके बाद साल 2016 में हुए रियो ओलंपिक में 100 मीटर बैकस्ट्रोक में फिर से स्वर्ण पदक अपने नाम किया. इसके अलावा 50 मीटर बटरफ्लाई तैराकी में रजत पदक अपने नाम किया.
अब टोक्यो ओलंपिक में तो उन्होंने सफलता का ऐसा डंका बजाया कि चीन ही नहीं, हर देश में उनके लिए तालियां बजने लगी हैं. उन्होंने टोक्यो में 50 मीटर बटरफ्लाई, 50 मीटर बैकस्ट्रोक, 50 मीटर फ्रीस्टाइल और 4x20 मिक्स्ड बटरफ्लाई, चार इवेंट में स्वर्ण पदक जीत लिए. कमाल की बात सभी स्वर्ण पदक उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए जीते. इसके बात सोशल मीडिया पर उनकी तारीफों की झड़ी लगी है. अपने देश चीन में तो वह हीरो बन गए हैं. कमाल की बात है कि जब उन्होंने 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में स्वर्ण पदक जीता तो चीन ने भी पैरालंपिक में अपने 500 पदक पूरे कर लिए. मीडिया रिपोर्ट्स में यहां तक दावा किया गया है कि टोक्यो पैरालंपिक की तैयारी के लिए वह रोज प्रैक्टिस में 10 किलोमीटर से ज्यादा तैराते थे. हालांकि उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा है कि यह टोक्यो पैरालंपिक में उनकी अंतिम रेस थी लेकिन आज तक जितनी भी रेस उन्होंने की हैं, यह उनमें सर्वश्रेष्ठ थी. अब सोशल मीडिया पर उनकी तारीफों की झड़ी लगी है. कोई उन्हें ट्रू इंस्पिरेशन बता रहा है तो कोई सोर्स आफ प्राइड बता रहा है.
HIGHLIGHTS
- बचपन में हादसे में गवां दिए थे दोनों हाथ
- नहीं मानी हार, सीखी बिना हाथ के तैराकी
- टोक्यो ओलंपिक में तोड़ डाले कई रिकॉर्ड
Source : News Nation Bureau