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केरल हाईकोर्ट ने लिया बड़ा फैसला, अब लोगों को हर समस्या से तुरंत मिलेगा निजात; जानें डिटेल्स

Kerala High Court: केरल उच्च न्यायालय ने न्यायिक अधिकारियों के लिए परामर्श और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य, कार्य-जीवन संतुलन बेहतर होगा और शिकायतों का त्वरित समाधान सुनिश्चित किया जा सकेगा.

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Ritu Sharma
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Kerala High Court

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Kerala High Court: केरल उच्च न्यायालय ने न्यायिक अधिकारियों के कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य और शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों की समस्याओं को दूर करने और उनकी मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए, एक परामर्श और शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की गई है. यह तंत्र न्यायिक अधिकारियों को मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने में सहायता प्रदान करेगा. साथ ही, उनकी शिकायतों के समाधान के लिए प्रभावी मंच तैयार करेगा.

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न्यायिक अधिकारियों के लिए शिकायत निवारण तंत्र

आपको बता दें कि न्यायिक सेवा का कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है. अदालती प्रक्रियाओं का भार, निर्णयों का दबाव, और सामाजिक दायित्वों के बीच न्यायिक अधिकारियों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में एक सुव्यवस्थित तंत्र की आवश्यकता होती है जो न्यायाधीशों को मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान कर सके और उनकी शिकायतों का त्वरित निवारण कर सके. यह तंत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि न्यायाधीशों के काम की प्रकृति उन्हें व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं से प्रभावित करती है, जिसका असर न्यायिक निर्णयों पर पड़ सकता है.

वहीं आपको बता दें कि इस नई पहल के अंतर्गत, शिकायत निवारण तंत्र न्यायिक अधिकारियों की समस्याओं को सुनने और उन्हें हल करने का एक मंच प्रदान करेगा. इसके लिए एक समर्पित ईमेल आईडी (judicare@kerala.gov.in) बनाई गई है, जहां न्यायाधीश अपनी समस्याओं और शिकायतों को साझा कर सकते हैं. साथ ही, चौदह जिला-स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो स्थानीय स्तर पर शिकायतों के समाधान में मदद करेंगे.

परामर्श केंद्र

इसके साथ ही बता दें कि केरल उच्च न्यायालय ने न्यायिक परामर्श केंद्र (JCC) की स्थापना की है, जिसमें न्यायाधीशों के लिए परामर्श सेवाएं प्रदान की जाएंगी. परिवारिक न्यायालय के परामर्शदाता और विशेषज्ञों की एक टीम न्यायिक अधिकारियों को भावनात्मक समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी.

साथ ही परामर्श सेवाएं न्यायाधीशों को मानसिक शांति प्रदान करने और कार्यस्थल के तनाव को नियंत्रित करने में मदद करेंगी. यह पहल उन्हें बेहतर मानसिक स्थिति में रखने के लिए एक बड़ी सहायता साबित होगी, जो उनके फैसलों में भी साफ तौर पर झलकेगी.

इसके अलावा आपको बता दें कि एक समर्पित मोबाइल नंबर (7306425961) भी प्रदान किया गया है ताकि न्यायिक अधिकारी जब चाहें परामर्श सेवाओं का लाभ उठा सकें. यह 24x7 सेवा सुनिश्चित करती है कि न्यायाधीश किसी भी समय मानसिक तनाव या समस्या का सामना करने पर तुरंत मदद प्राप्त कर सकें.

लाभ और प्रभाव

इस पहल के कई प्रमुख लाभ हैं:-

  • मानसिक स्वास्थ्य का संरक्षण: न्यायाधीशों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए परामर्श सेवाएं उन्हें आवश्यक मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करेंगी.
  • शिकायतों का त्वरित समाधान: ईमेल आईडी और नोडल अधिकारियों की नियुक्ति से शिकायतों का समाधान शीघ्रता से हो सकेगा, जिससे न्यायिक अधिकारियों को संतोषजनक समाधान प्राप्त होगा.
  • कार्य-जीवन संतुलन: परामर्श सेवाओं से न्यायाधीशों को व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाने में मदद मिलेगी, जिससे उनका कार्य प्रदर्शन और व्यक्तिगत संतुलन बेहतर होगा.
  • न्यायिक कार्यों की गुणवत्ता में सुधार: मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ न्यायाधीश बेहतर निर्णय ले पाएंगे, जो न्यायिक प्रक्रियाओं की गुणवत्ता को सुधारने में मददगार होगा.

बहरहाल, केरल उच्च न्यायालय का यह निर्णय न्यायिक अधिकारियों के लिए एक स्वागत योग्य पहल है. परामर्श और शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से न केवल उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान होगा, बल्कि यह पहल मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन को भी बेहतर बनाएगी. ये न्यायिक प्रणाली में एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो न्यायाधीशों के कल्याण के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रियाओं की गुणवत्ता को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.

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