तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी राज्य के अगले विपक्ष के नेता होंगे. सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की तीन घंटे की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री को एआईएडीएमके के विधायक दल का नेता चुना गया. वह स्वाभाविक रूप से विधानसभा में विपक्ष के नेता बन जाएंगे. पार्टी नेताओं ने पार्टी विधायकों और पदाधिकारियों की बैठक के बाद विधानसभा सचिव के.श्रीनिवास को एआईएडीएमके विधायक दल के नेता के रूप में पलानीस्वामी के नाम का प्रस्ताव पत्र सौंपा. यह पहली बार है, जब एआईएडीएमके विधायक दल के नेता की घोषणा पार्टी के भीतर बहुत विरोध के बाद की गई.
पार्टी को विधानसभा में अपने मुख्य सचेतक और उप नेता के नाम की घोषणा करना बाकी है. पूर्व उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल के नाम का प्रस्ताव पार्टी विधायक दल के नेता के रूप में रखा था, जिसका पलानीस्वामी के समर्थक विधायकों ने विरोध किया. बाद में पलानीस्वामी के नाम पर सहमति बनी.
नवनिर्वाचित विधायक 11 मई, मंगलवार को शपथ लेंगे और विधानसभाा अध्यक्ष 12 मई को चुने जाएंगे. अध्यक्ष को मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता द्वारा चुना जाना है और विपक्ष के नेता का चयन 12 मई से पहले होना है.
आपको बता दें कि इसके पहले यहां पूर्व मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी(ईपीएस) और पूर्व उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम(ओपीएस) के बीच विपक्ष का नेता बनने की होड़ मच गई है. हालांकि पलानीस्वामी समर्थक उन्हें विपक्षी नेता बनाने के लिए जोर लगा रहे हैं कि क्योंकि उनका मानना है कि पार्टी ने सलेम में 11 में से 10 सीटें जीत ली. इसके अलावा, ईपीएस ने अपने डीएमके प्रतिद्वंद्वी संपत कुमार के ऊपर 93,802 वोटों के अंतर के साथ अपनी इडप्पडी सीट जीती, जो तमिलनाडु चुनाव के इतिहास में एक मुख्यमंत्री का सबसे बड़ा वोट अंतर है. पलानीस्वामी का मजबूत गढ़ माने जाने वाले पश्विमी तमिलनाडु में पार्टी ने 54 में से 32 सीट जीती, जबकि पनीरसेल्वम का मजबूत गढ़ माने जाने वाले दक्षिण तमिलनाडु में पार्टी ने 60 में से केवल 16 सीट ही जीती है.
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन ने तमिलनाडु के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. राजभवन में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाई. पूरे 10 साल के अंतराल के बाद डीएमके की सत्ता में वापसी हुई है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव ने डीएमके गठबंधन ने एआईएडीएमके गठबंधन को सत्ता से बेदखल कर दिया था. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ 33 मंत्रियों ने भी पद की शपथ ग्रहण की. दिलचस्प यह है कि अब तमिलनाडु की नई कैबिनेट में स्टालिन के साथ 'गांधी' और 'नेहरू' को भी शामिल किया गया है.
HIGHLIGHTS
- के पलानीसामी तमिलनाडु में बने विपक्ष के नेता
- एम के स्टालिन ने ली सीएम पद की शपथ
- 10 साल के बाद डीएमके की सत्ता में हुई वापसी