तमिलनाडु के मुख्य सचिव वी. इराई अनबू ने कई किताबें भी लिखी हैं. अनबू ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग से कह दिया है कि उन्हें खुश करने के लिए उनकी कोई किताब न खरीदी जाए. अनबू ने यहां जारी एक बयान में कहा कि उन्होंने अपने अनुभव और प्राप्त ज्ञान के आधार पर अपने खाली समय के दौरान कुछ किताबें लिखी हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग को किसी भी योजना के तहत उनकी किताबें नहीं खरीदने का निर्देश दिया था और ऐसा लगता है कि खरीद उनके प्रभाव में, यानी उन्हें खुश करने के लिए की गई. साल 2006 में फूलों के गुलदस्ते के बजाय किताबें पेश करने के सरकारी आदेश का हवाला देते हुए अनबू ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को उन्हें प्रभावित करने के लिए उनकी किताबें राज्य सरकार की या व्यक्तिगत लागत पर नहीं खरीदनी चाहिए. मुख्य सचिव ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी किताबें सरकार की लागत पर खरीदी और वितरित की गईं, तो लागत संबंधित अधिकारी से वसूल की जाएगी और राज्य सरकार को वापस भुगतान किया जाएगा.
शपथ ग्रहण करने के कुछ ही घंटों के भीतर, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मुख्य सचिव के रूप में इराई अनबू को सामने लाए थे. सरकार ने स्टालिन को सहयोग देने के लिए चार सचिवों- टी. उदयचंद्रन, पी.उमानाथ, एम. शनमुगम और अनु जॉर्ज की नियुक्ति का आदेश दिया. उदयचंद्रन पुरातत्व आयुक्त थे और उनका तबादला कर उन्हें प्रमुख सचिव/सचिव-प्रथम के पद पर नियुक्त किया गया.
तमिलनाडु मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक उमानाथ को सचिव-द्वितीय के रूप में नियुक्त किया गया. शनमुगम को सचिव-तृतीय नियुक्त किया गया. वह म्यूजियम के आयुक्त थे और अनु जॉर्ज जो उद्योग आयुक्त और उद्योग एवं वाणिज्य निदेशक थे, उन्हें सचिव-चतुर्थ के रूप में नियुक्त किया गया. पूर्व नौकरशाह संतोष बाबू ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि स्टालिन के अफसरों की टीम में सभी उत्कृष्ट और ईमानदार माने जाने वाले अधिकारी हैं. बाबू ने कहा, "मुख्य सचिव इराई अनबू एक सिद्ध नेता, महान संचालक और प्रेरक भी हैं. उदय (उदयचंद्रन) इनोवेटिव दिमाग के टेक-सैवी हैं." पिछले साल संतोष बाबू को 2,000 करोड़ रुपये की भारतनेट परियोजना में तत्कालीन एआईएडीएमके सरकार के हस्तक्षेप के खिलाफ प्रदर्शन करने पर आठ साल सर्विस के साथ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी.
HIGHLIGHTS
- अनबू ने स्कूल शिक्षा विभाग से कहा कि उन्हें खुश करने के लिए उनकी कोई किताब न खरीदी जाए
- अपने अनुभव और प्राप्त ज्ञान के आधार पर अपने खाली समय के दौरान कुछ किताबें लिखी हैं
Source : IANS