CAA Protests: नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA 11 मार्च को देशभर में लागू कर दिया गया. केंद्र सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी होते ही यह कानून पूरे भारत में लागू हो गया. हालांकि CAA को लेकर एक बार फिर कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. इनमें से एक राज्य असम है. नॉर्थ-ईस्ट के इस राज्य में विपक्षी दल और क्षेत्रीय संगठन CAA का जमकर विरोध कर रहे हैं. आलम यह है कि लोगों में आक्रोश को देखते हुए गुवाहाटी पुलिस ने CAA को विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों को लेकर नोटिस भी जारी कर दिया है. नोटिस में कहा गया है कि सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ (भारतीय दंड संहिता और सार्वजनिक संपत्ति क्षति अधिनियम) दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के एवज में प्रदर्शनकारियों से ही की जाएगी.
क्यों हो रहा CAA का विरोध
दरअसल, असम में नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) का मुख्य कारण 1985 में हुआ वह असम समझौता (Assam Accord) है, जिसमें कहा गया था कि असम में 25 दिसंबर 1971 से पहले आए अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजा जाएगा. यह समझौता ऑल असल स्टूडेंट्स यूनियन ( AASU ) और केंद्र सरकार के बीच हुआ था. रिपोर्ट के अनुसार CAA का विरोध करने वालों का कहना है कि यह कानून असम समझौते का उल्लंघन करता है. उनका कहना है असम समझौते के अनुसार एक तरफ जहां अवैध प्रवासियों को बाहर निकाला जाना था, वहीं केंद्र सरकार अब उनको नागरिकता देने की बात कर रही है.
अवैध अप्रवासियों को लेकर हुआ था बड़ा आंदोलन
आपको बता दें कि 1971 में पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान में हुई बर्बरता के समय लाखों की संख्या में अवैध प्रवासी भारत की सीमा में प्रवेश कर गए थे. क्योंकि असम बांग्लादेश के साथ 263 किलोमीटर लंबा इंटरनेशनल बॉर्डर शेयर करता है, लिहाजा सबसे ज्यादा अवैध अप्रवासियों का भार भी असम को ही झेलना पड़ा था. हालांकि बांग्लादेश बनने के बाद बहुत सारे अप्रवासी वापस अपने देश चले गए, लेकिन लाखों की संख्या में लोग यहीं रुक गए. इससे न केवल असम की संस्कृति, रीति रिवाजों और रहन-सहन के तरीकों में बड़ा बदलाव आया, बल्कि उनके संसाधनों पर खतरा मंडराने लगा. असम के स्थानीय लोगों को लगा कि बांग्लादेश से आए अवैध अप्रवासी उनसे हिस्से के संसाधनों पर कब्जा जमा रहे हैं. लिहाजा उनको वापस भेजने के लिए राज्य में आंदोलन शुरू हो गए. इस क्रम में ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ( AASU ) ने प्रमुख भूमिका निभाई. छह सालों तक असम में उग्र आंदोलन होते रहे, जिसके बाद 1985 में राजीव गांधी सरकार ने आसू के साथ एक समझौता किया जिसको असम अकोर्ड के नाम से भी जाना जाता है.
कौन कर रहा विरोध
असम में सीएए का विरोध करने वालों में 16 दल वाला संयुक्त विपक्षी मंच, असम (UOFA) और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं. इन संगठनों ने केंद्र सरकार पर असम समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है.
Source : News Nation Bureau