असम के नए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने सोमवार को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से हिंसा का रास्ता बंद करने और बातचीत की मेज पर आने की अपील की और यह भी कहा कि उनकी सरकार का पहला काम राज्य में कोविड-19 पर अंकुश लगाना होगा. असम के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में पद संभालने के बाद, सरमा ने कहा कि राज्य में कोरोनावायरस के खतरनाक वृद्धि को रोकने के लिए मंगलवार को पहली कैबिनेट बैठक में एक प्रभावी रोडमैप को अंतिम रूप दिया जाएगा. सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली सरकार में पूर्व स्वास्थ्य, वित्त, पीडब्ल्यूडी और शिक्षा मंत्री, सरमा ने असम में कोविड की स्थिति को 'खतरनाक' बताते हुए कहा कि राज्य में हर रोज 5,000 नए सकारात्मक मामले सामने आ रहे हैं.
नए मुख्यमंत्री ने मीडिया को बताया, अब आप राज्य में बहुत सक्रिय सरकार पाएंगे. अगर असम कोविड महामारी को नियंत्रित करता है तो यह अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सभी चुनावी वादे, जिनमें बाढ़ पर नियंत्रण, बेरोजगार युवाओं के लिए एक लाख नौकरियों का निर्माण, माइक्रो-फाइनेंस समस्याएं, राज्य की फ्लैगशिप स्कीम 'ओरुणोदय' के तहत महिलाओं को सशक्त बनाना शामिल हैं, पूरे किए जाएंगे.
एक सवाल पर, मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय हमारे खजाने में 7,000 करोड़ रुपये हैं और दावा किया गया है कि "हमारे पास देश में सबसे अच्छी वित्तीय स्थिति है और असम की मौद्रिक स्थिति के बारे में चिंता का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि असम विधानसभा चुनावों से पहले जारी भाजपा के 'संकल्प पत्र' ने असम में सही एनआरसी (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) का वादा किया, जिसे पूरा किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआरसी को सही करने के लिए राज्य सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में 20 प्रतिशत और असम के अंदर 10 प्रतिशत जांच करेगी. उन्होंने कहा, अगर हमें पता चला कि बड़ी खामियां हैं, तो हम अदालत से एनआरसी पर नए सिरे से विचार करने का आग्रह करेंगे.
हिमंत बिस्व सरमा तरुण गोगोई से नाराजगी के बाद 23 अगस्त 2015 को भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था. हिमंत ने बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के घर पर उनसे मुलाकात की और वहीं पर बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया. इसके बाद बीजेपी ने साल 2016 के विधानसभा चुनाव के लिए हिमंत को असम का संयोजक बना दिया. हिमंत ने भी इस मौके को पूरी तरह से भुनाया और अमित शाह की कसौटी पर खरा उतरते हुए असम में इतिहास रच दिया. उस चुनाव में बीजेपी ने असम से तरुण गोगोई की सरकार को उखाड़ फेंका.
Source : IANS