Bihar: हक मांगना नहीं छीनना पड़ता है…नीतीश कुमार पर लालू यादव का तंज; पढ़ें पूरा मामला

लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा 2014 में 31, 2019 में 39 और 2024 में 30 सांसद जीतकर भी दिल्ली में अपनी मांगों के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.

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Yashodhan.Sharma
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बिहार में आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसा है. उन्होंने बुधवार को अपने एक्स (X) पर पोस्ट के जरिए उनपर हमला बोला और कई सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि नीतीश कुमार बताएं कि पिछले 10 सालों में एनडीए ने क्या किया? आखिर बिहार को कोरी घोषणाओं के अलावा क्या दिया? लालू ने 2004 से 2009 के बीच 5 साल में ही बिहार को एक लाख 44 हजार करोड़ की सहायता राशि दिलवाने का दावा किया. इसके बदले नीतीश कुमार को  2014 में 31, 2019 में 39 और 2024 में 30 सांसद जीतकर भी दिल्ली में अपनी मांगों के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. लालू ने कहा कि राजधानी (दिल्ली) में हक मांगना नहीं, बल्कि छीनना पड़ता है. 

 'मेड इन बिहार' रेल पहियों से मिल रही रफ्तार

लालू यादव ने आगे एक्स पर दरियापुर स्थित रेल व्हील प्लांट का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि दरियापुर स्थित रेल व्हील प्लांट में रिकॉर्ड 2 लाख से अधिक रेल पहियों का उत्पादन किया जा चुका है. उन्होंने आगे कहा कि हमने रेल मंत्री रहते इसकी आधारशिला 29 जुलाई 2008 को रखी थी. प्लांट के निर्माण पर लगभग 1640 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. बिहार में रेल के पहिए का निर्माण भारतीय रेलवे के लिए एक वरदान साबित हुआ. अब 'मेड इन बिहार' रेल पहिये भारतीय रेलवे की रफ्तार भरने में रिकॉर्ड बना देश के विकास में अहम योगदान दे रहे हैं.

बेला रेल व्हील प्लांट का भी किया जिक्र

लालू ने बेला में मौजूद रेल व्हील प्लांट के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि इस प्लांट में अब तक 2 लाख से अधिक रेल पहियों का निर्माण हो चुका है जिससे भारतीय रेलवे की विदेशों पर निर्भरता कम हो गई. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनके द्वारा स्थापित बेला रेल व्हील प्लांट देश को आत्मनिर्भर बनाने में खास भूमिका निभा रहा है.

2004 में मिली थी स्वीकृति

इसके अलावा लालू यादव ने अपनी पोस्ट में रेल पहिया प्लांट के निर्माण के बारे में भी बताया. उन्होंने अपने एक्स पर पोस्ट में आगे लिखा कि रेल पहिया प्लांट का निर्माण 2004-05 में स्वीकृत हुआ था और जुलाई 2008 में इसकी शुरुआत हुई थी. यह बिहार में औद्योगीकरण को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. यह भारतीय रेलवे के इतिहास में पहली बार था कि बिना किसी विदेशी सहयोग के एक अत्यधिक परिष्कृत कारखाना देश में स्थापित किया गया था. यह रेलवे इंजीनियरों की इन-हाउस क्षमता और विशेषज्ञता के कारण संभव हुआ. 2008 में इसका उद्घाटन कर सिविल कार्य शुरू किया गया. 

काम हमने किया और चेहरा नीतीश कुमार ने चमकाया

लालू यादव यहीं नहीं रुके उन्होंने अपने तीखे स्वरों में आगे लिखा कि UPA-1 में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बल पर हमने 2004 से 2009 के बीच प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह और श्रीमती सोनिया गांधी के सहयोग से विकास कार्यों के लिए बिहार को 1 लाख 44 करोड़ की विशेष आर्थिक सहायता राशि आवंटित ही नहीं बल्कि दिलाई थी. UPA-1 में केंद्र से मिले सहयोग के कारण बिहार में ग्रामीण सड़के, पुल-पुलिया, बिजली, रेलवे लाइनें, मनरेगा के तहत रोजगार, रेलवे स्टेशन, तथा सारण और मधेपुरा में रेल कारखानों का जाल बिछा दिया था. UPA काल में हमने ही सहयोग राशि से दी थी, जिससे नीतीश कुमार ने अपना चेहरा खूब चमकाया. 

 

 

 

 

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