बिहार के अस्पतालों में बीमारियां बंट रही हैं. अस्पताल के अंदर इलाज और बाहर बीमारियां बेशुमार है. आप सोचेंग हम ये क्या कह रहे हैं. यही कारण है कि 1800 अस्पतालों पर बंद होने का खतरा मंडराने लगा है. बिहार प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने नोटिस जारी किया है. सभी अस्पतालों को भेजे नोटिस में कहा गया है कि अगर बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, परिवहन और इलाज के लिए स्थापित मानदंडों का पालन नहीं किया गया तो अस्पतालों की बिजली, पानी काट दी जाएगी साथ ही अस्पतालों में ताला जड़ दिया जाएगा.
प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने कई जिलों के जिलाधिकारी को भी इसकी सूचना दी है. बिहार प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने कहा कि पटना के स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं के नियमों को ताक पर रखा जा रहा. इसके साथ ही पहले चरण में आरा, बक्सर, कैमूर, मुंगेर, गया और रोहतास जैसे जिले भी शामिल हैं. इस मामले को लेकर बार-बार इन इकाइयों को सतर्क किया गया है. इसके बावजूद भी निर्देशों का पालन नहीं किया गया. यही कारण है कि बोर्ड को मजबूरी में ये कदम उठाना पड़ा है.
मामले की गम्भीरता को देखते हुए अध्यक्ष ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों से भी इन स्वास्थ्य इकाइयों को दी जाने वाली बिजली को बंद करने के लिए भी बोर्ड अनुरोध करेगा. खासकर राजधानी पटना के स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं के नियमों को ताक पर रखा जा रहा. इस नोटिस के बाद न्यूज़ नेशन की टीम में इसकी सत्यता जांचने का निश्चय किया तो हमारी टीम सबसे पहले बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच पहुंची और वहां का नजारा वाकई भयावह था. अस्पताल परिसर में भी बायो मेडिकल वेस्ट का अंबार लगा था. नोटिस के डर से अस्पताल वेस्ट मैनेजमेंट की खानापूर्ति करते दिखे, हम पहुंचे आइजीआइएमएस हॉस्पिटल. इमरजेंसी वार्ड के सामने डंपिंग ग्राउंड और वहां बेतरतीब तरीक़े से अस्पताल के कचड़ों का संग्रहन हो रहा था.
पटना के अलावा बिहार के 5 और जिलों के अस्पतालों को यह नोटिस भेजा गया है. हमने उन जिलों का भी रियलिटी चेक करवाया बक्सर और रोहतास से जो तस्वीरें आए वो और ज्यादा डराने वाली थी. वहां के स्थानीय लोग भी ऐसी व्यवस्था को लेकर परेशान हैं, जिन्हें अब बीमारी का डर सता रहा है. रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में स्थित कचहरी मोड़ के समीप प्रभात जांच केंद्र एवं डॉक्टर आर. के भारती हॉस्पिटल सहित कई अस्पतालों के कचरे को खुले में ही फेंक दिया जाता है, जिससे वहां के रहने वाले लोगों को इंफेक्शन सहित पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. इस जगह पर दर्जनों ऐसे अस्पताल हैं जिसका कचरा बाहर खुले में ही फेंक दिया जाता है. नोटिस के डर से कुछ अस्पतालों ने एहतियात बरतना शुरू किया है.
Source : News State Bihar Jharkhand