नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जा रहा है. नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है. 2 अक्टूबर को नवरात्रि का सातवां दिन है. नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाता हैं. आज के दिन भक्त का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है. मां कालरात्रि दुष्टों का संहार करती हैं. अकसर ऐसा माना जाता हैं कि मां कालरात्रि का रूप देखने में अत्यंत भयंकर है, परंतु ये अपने भक्तों को हमेशा शुभ फल प्रदान करती हैं. इसलिए इन्हें इनके भक्त शुभंकरी भी कहते हैं. इनका वर्ण काला है और तीन नेत्र हैं, मां के केश खुले हुए हैं और माता गले में मुंड की माला धारण करती हैं. मां कालरात्रि गदर्भ यानि गधे की सवारी करती हैं. कई पौराणिक कथाओं के अनुसार इनके नाम का उच्चारण करने मात्र से ही बुरी शक्तियां भयभीत होकर भाग जाती हैं. मां कालरात्रि को गुड़ और हलवे का भोग लगाना चाहिए, इससे वे प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं.
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक रक्तबीज नाम का राक्षस था. मनुष्य के साथ देवता भी इससे परेशान थे क्योंकि रक्तबीज दानव की विशेषता यह थी कि जैसे ही उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरती तो उसके जैसा एक और दानव बन जाता था. इस राक्षस से परेशान होकर समस्या का हल जानने सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे. जब देवता शिव जी के पास पहुंचे, तब भगवान शिव को ज्ञात हुआ कि इस दानव का अंत माता पार्वती ही कर सकती हैं. इसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति व तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया. इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया. इस रूप में मां पार्वती कालरात्रि कहलाई. मां कालरात्रि हमेशा आपने भक्तों पर आर्शिवाद बरसाती हैं. मां की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं. ग्रह-बाधाओं की समस्या भी दूर हो जाती है. मां के भक्त कभी भी अग्नि, जल, जंतु, शत्रु, रात्रि आदि से नहीं डरते. इनकी कृपा से सभी भक्त भय-मुक्त हो जाते हैं.
Source : News Nation Bureau