इन दिनों धर्म परिवर्तन का मामला लगातार निकल कर सामने आ रहा है. बिहार के रोहतास जिले में लड़कियों को प्रलोभन देकर उन्हें बेचने और धर्म परिवर्तन से जुड़ा मामला सामने आया है. कंप्यूटर सिखाने के नाम पर उन्हें कही और ले जाया जा रहा था. लेकिन पुलिस ने उनके मंसूबे को नाकाम कर दिया. आरपीएफ ने 8 आदिवासी लड़कियों को रेस्क्यू किया है. एनजीओ की मदद से इन्हें बचाया गया. सभी लड़कियां नाबालिग हैं. फिलहाल सभी बच्चियों को पटना जिला के मोकामा चाइल्डलाइन को सौंपा गया है.
पूरा मामला, रोहतास जिले के थानाक्षेत्र का है. एनजीओ तथा चाइल्ड लाइन की मदद से ऐसे 8 आदिवासी लड़कियों को मुक्त कराया गया है जिन्हें ह्यूमन ट्रैफिकिंग के जरिये नागपुर भेजने की कोशिश की जा रही थी. बता दें कि, 12 सितंबर को डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ ने एक नाबालिग लड़की का रेस्क्यू किया था. जिसकी निशानदेही पर महिलाओ के लिए काम करने वाली एनजीओ 'परिवर्तन विकास संस्था' के सहयोग से जब रोहतास थाना क्षेत्र में पिपराडीह गाँव में दविश बनाई गई, तो एक मकान के कमरे से 8 लड़कियां बरामद हुई. जिसमें से दो झारखंड के गढ़वा जिले की रहने वाली है. जबकि अन्य लड़कियां कैमूर पहाड़ी के हरैया, गोरियारी, नागा टोली, रेहल आदि गांव की है.
लड़कियों को बिचौलियों से बचाने वाली सविता डे ने बताया कि कंप्यूटर शिक्षा देने के नाम पर इन बच्चियों को ले जाया जा रहा था. बताया जाता है कि कैमूर पहाड़ी पर कई ईसाई मिशीनरी सक्रिय हैं जो गरीब आदिवासी बच्चियों को निशाना बना रहे हैं एवं उसे दूसरे प्रांतों में ले जाकर नौकरी दिलाने के नाम पर धर्म परिवर्तन तक करवा रही हैं. चुकी इस संबंध में रोहतास थाने में FIR दर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई हैं.
फिलहाल जिला पुलिस- प्रशासन का कोई भी अधिकारी इस पर बोलने को तैयार नहीं है. सूत्रों की माने तो इलाके से 50 से अधिक लड़कियों को अब तक नागपुर के अलावा अन्य जगहों पर भेजा जा चुका है. बड़ी बात है कि इस ह्यूमन ट्रैफकिंग में धर्म परिवर्तन से भी मामला जुड़ा हुआ है।
Source : News Nation Bureau