हम सभी ने कभी ना कभी जलकुंभी जरूर देखी होगी. ग्रामीण इलाकों में नदियों और तालाबों के सतह पर उगने वाले ये हर-भरे पौधे आमतौर पर परेशानियों का कारण होते हैं, क्योंकि अमूमन इनका कोई काम नहीं होता. मुजफ्फरपुर की 9वीं की छात्रा ने इन जलकुंभियों की मदद से ऐसा आविष्कार कर किया जिसकी चर्चा बिहार से लेकर दिल्ली तक हो रही है. दरअसल जिले के मनीयारी हाई स्कूल में नौवीं में पढ़ने वाली छात्रा नीधी ने जलकुंभी से सैनिटरी पैड बना दिया है.
निधि की मानें तो पैड बनाने की प्रक्रिया करीब एक महीने में पूरी हो जाती है. इसके लिए जलकुंभी को इकट्ठा कर उसे धूप में सुखाते हैं. सूखने के बाद जलकुंभी को पीसा जाता है. फिर पानी मिलाकर एक पेस्ट तैयार होता है. पेस्ट को रेक्टेंगुलर शेप देकर धूप में सुखाया जाता है. फिर रूई के दो लेयर के बीच इसे रखा जाता है और इस तरह तैयार सैनेटरी पैड हो जाता है. ये पैड जितना अनोखा है उतना ही ईको फ्रेंडली भी. चूंकि इसमें किसी तरह के कैमिकल का इस्तेमाल नहीं होता. इसलिए इसे नष्ट होने में ज्यादा समय नहीं लगता है. लिहाजा ये पर्यावरण के लिए भी अच्छा है.
निधि ने ये पैड बनाकर जहां ग्रामीणों की जलकुंभी की परेशानी को कम कर दिया तो वहीं लड़कियों के लिए भी ये किसी वरदान से कम नहीं है. वहीं, निधि की इस कामयाबी पर ना सिर्फ उसका परिवार बल्कि पूरा गांव गौरवान्वित है और उसके उज्जवल भविष्य की कामना कर रहे हैं.
निधि की इस उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि जहां उसने ये पैड बनाया वहां ना तो उसके पास कोई लैब था, ना ही दूसरे सांटिफिक इक्विपमेंट. कम संसाधनों में ही निधि ने जो कमाल कर दिखाया है वो वाकई सराहनीय है. ऐसे में निधि आज अपने जैसी तमाम छात्राओं के लिए मिसाल बन गई है.
रिपोर्ट : नवीन कुमार ओझा
HIGHLIGHTS
- मुजफ्फरपुर की 9वीं की छात्रा का कमाल
- जलकुंभी से बना दिया सेनेटरी पैड
- किसी तरह के कैमिकल का इस्तेमाल नहीं
Source : News State Bihar Jharkhand