भागलपुर का एक ऐसा दुर्गा मंदिर, जहां महिलाओं का पूजा करना है वर्जित

जगत जननी दुर्गा महारानी की पूजा हो रही है और भारत में हर महिलाओं को भगवान का दर्जा दिया गया है.

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Vineeta Kumari
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महिलाओं का पूजा करना है वर्जित( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

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जगत जननी दुर्गा महारानी की पूजा हो रही है और भारत में हर महिलाओं को भगवान का दर्जा दिया गया है. शक्ति स्वरूपा के पूजन में महिलाएं बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है, लेकिन इस दुर्गा पूजा हम आपको ऐसे मंदिर रूबरू करा रहे जहां महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत राजेन्द्र कॉलोनी है, जहां भगवती दुर्गा पुनामा प्रतापनगर वाली मैया विराजमान है. इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 1526 ईस्वी में पुनामा प्रतापनगर में की गई थी. तत्कालीन राजा चंदेल वंश के राजा प्रताप राव ने देवी का आह्वान किया था. तब से एक प्रथा चली आ रही है कि महिलाओं को मंदिर के अंदर प्रवेश करने नहीं दिया जाता है. महिलाएं मंदिर के बाहर से मां भगवती की पूजा अर्चना कर मनोकामना मांगते हैं. हालांकि किसी महिला को इसपर आपत्ति नहीं है. वहीं, बाहर के अन्य पुरुषों को भी मंदिर के अंदर प्रवेश करने नहीं दिया जाता है. 

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मंदिर में महिलाओं का पूजा करना वर्जित

इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां मूर्ति की पूजा नहीं होती है. दुर्गापूजा में दस दिनों तक अनवरत ज्योत जलती है. दसवीं के दिन कलश के साथ ज्योत का विसर्जन किया जाता है. यहां तांत्रिक विधि से पूजा अर्चना की जाती है. इसलिए यहां सप्तमी की रात में 64 योगिनी की साधना होती है और शिव और शक्ति की पूजा होती है. इस साधना को देखने हजारों लोग पहुंचते हैं. वहीं, यहां जिनकी मनोकामना पूरी होती है, वह दण्ड प्रणाम भी देते हैं. 

आखिर क्यों है मंदिर की ऐसी मान्यता

मंदिर में जब न्यूज स्टेट संवाददाता पहुंचे, तो मंदिर में राजा प्रताप राव के वंशज व मुख्य पुजारी के साथ कई लोग पूजा में थे. महिलाएं बाहर से ही मां की आराधना कर रहीं थी. हमने कई महिलाओं से बात करने की कोशिश की. सबने कहा मां भगवती के सामने कुछ बोलने का हमें अधिकार नहीं है. वहीं, दण्ड प्रणाम दे रहे भक्त बादल ने बताया कि उन्होंने मां से मनोकामना मांगी थी. वह पूरी हुई 20 सालों से वह माता भगवती को दंड प्रणाम कर धन्यवाद कहते हैं.

इस मंदिर में होती है गुप्ता पूजा

महिलाओं के प्रवेश वर्जित और मंदिर के इतिहास के बारे में मंदिर के व्यवस्थापक पुजारी विजेंद्र सिंह ने बताया कि 1526 ईस्वी में मंदिर की स्थापना हुई थी. यहां गुप्त पूजा होती है कलश स्थापना के साथ ज्योत जलती है. महिलाओं के प्रवेश के साथ साथ बाहर के पुरुषों के प्रवेश भी वर्जित है. महिला अपने आप मे वर्जित हैं. कई तरह की महिलाएं होती है. उनकी शुद्धि के बारे में हम पूछ नहीं सकता. इसलिए वर्जित रखा गया है और यह परंपरा स्थापना के समय से ही चली आ रही है. महिला का पूजा होना और महिला द्वारा पूजा करना दोनों में फ़र्क़ है.

HIGHLIGHTS

  • भागलपुर का एक ऐसा दुर्गा मंदिर
  • जहां महिलाओं का पूजा करना है वर्जित
  • मंदिर में होती है गुप्ता पूजा

Source : News State Bihar Jharkhand

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