बिहार में शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से भी नहीं छुपा है. बच्चे स्कूल तो जाते पर उन्हें वो शिक्षा नहीं मिल पाती जिसके उम्मीद में परिजन अपने बच्चों को भेजते हैं, लेकिन छपरा में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां एक बंदर बच्चों की शिक्षा में बाधा बन रहा है, हाथों में डंडा लेकर शिक्षक पहरा देने को मजबूर हैं. आलम ये है कि बच्चे अपने क्लासरूम से अकेले बहार तक नहीं निकल पाते हैं, ना ही स्कूल में प्राथना होती है और ये सबकुछ पिछले 15 दिनों से चल रहा है लेकिन प्रशासन के तरफ से स्कूल की इस समस्या का समाधान नहीं किया गया है.
बंद कमरे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं बच्चे
मामला परसा प्रखंड बभनगावा मध्य विद्यालय का हैं, जहा एक बंदर स्कूलों में शिक्षा बाधित करने का कारण बन गया है. बंदर स्कूल के छत के अलावा आसपास ही पेड़ो पर रहता है, और स्कूली बच्चों, राहगीरों को परेशान करता है, तकरीबन 15 दिनों से यही हाल है. बंदर के डर का आलम यह है कि शिक्षक कमरे बंद करके पढ़ाई संचालित करने को मजबूर हैं. बच्चों को कक्ष से बाहर निकलने पर शिक्षक को भी साथ में डंडा लेकर निकलना पड़ता है. प्रधानाध्यापक ने बताया कि बंदर के कारण पिछले 15 दिनो से ज्यादा दिन से हम परेशान हैं. इस दौरान बंदर ने कई लोगों को घायल कर दिया है, स्थिति ऐसी है कि बच्चे स्कूल आने से डरने लगे हैं.
वन विभाग ने दुबारा आना मुनासिब नहीं समझा
वहीं, उन्होंने बताया कि इस मामले में शिक्षक ने वन विभाग को इसकी जानकारी देकर बंदर को पकड़ने के लिए आवेदन भी दिया है. एक दिन विभाग के कर्मचारी भी आए लेकिन बंदर हाथ नहीं आया, जिसके बाद उन्होंने दुबारा आना मुनासिब ही नहीं समझा. शिक्षक और रसोइया पूरे दिन डंडे लिए बाहर खड़े रहते हैं, स्कूल के शिक्षक मोहम्मद इश्तेयाक ने बताया कि बंदर ने स्कूल में पढ़ाई के दौरान अब तक 12 से भी अधिक बच्चों को काटकर जख्मी कर दिया है. इसके साथ ही ग्रामीणों और राहगीरों को भी निशाना बनाया गया है.
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स्कूल में नहीं हो पाती है प्रार्थना
ऐसा लगता है कि वन विभाग व अन्य प्रखंड के प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोये हुए हैं. हद तो तब हो गई जब प्रखंड विकास पदाधिकारी डॉक्टर दीपक कुमार सिंह पंचायत के विकास संबंधित कार्य स्कूल परिसर में कर रहे थे इस दौरान भी एक व्यक्ति पर बंदर ने हमला कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी अब तक बंदर को नहीं पकड़ा गया है. प्रधानाध्यापक ने बताया कि स्कूल में प्रवेश करने और घर तक आने जाने में बच्चों में भय का माहौल है. इस कारण स्कूल में प्रार्थना तक नहीं हो पाती, स्कूल के दरवाजे खिड़कियां बंद करके पढ़ाई की जाती है. अब सवाल ये है कि वन विभाग की नींद कब टूटेगी आखिर बंदर के आतंक से स्कूली व्यवस्था कब तक इस तरह से संचालित होगी, और बंदर कब विभाग के जाल में पकड़ा जाएगा.
रिपोर्ट - बिपिन कुमार मिश्रा
HIGHLIGHTS
- एक बंदर बच्चों की शिक्षा में बन रहा है बाधा
- कमरे बंद करके पढ़ाई संचालित करने को मजबूर हैं शिक्षक
- 12 से भी अधिक बच्चों को काटकर कर दिया है जख्मी
Source : News State Bihar Jharkhand