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बिहार का एक ऐसा मंदिर जहां दर्शन करने कई राज्यों से आते हैं श्रद्धालु, दिलचस्प है इसकी कहानी

नवरात्रि का पवित्र महीना चल रहा है और हर तरफ दुर्गा पूजा को लेकर काफी उत्साह है. बता दें कि यूपी और बिहार से सटे वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के मदनपुर जंगल में प्रसिद्ध मदनपुर देवी मंदिर है. इसे चंपारण की वैष्णो देवी कहा जाता है.

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Ritu Sharma
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मदनपुर देवी मंदिर( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

नवरात्रि का पवित्र महीना चल रहा है और हर तरफ दुर्गा पूजा को लेकर काफी उत्साह है. बता दें कि यूपी और बिहार से सटे वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के मदनपुर जंगल में प्रसिद्ध मदनपुर देवी मंदिर है. इसे चंपारण की वैष्णो देवी कहा जाता है. यह मंदिर नेपाल, बिहार और यूपी के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. इनमें देवी मां के भक्त रहसू गुरु की कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि, वह बाघों के गले में सांप की रस्सी लपेटता था. 

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आपको बता दें कि कहा जाता है कि, ''मदनपुर देवी स्थान पर पहले घना जंगल हुआ करता था, उस पर राजा मदन सिंह का शासन था. एक बार जंगल में शिकार करने राजा पहुंचे तो उनको पता चला कि एक रहसू गुरू साधु उनके इन जंगलों के बीच बाघों के गले में सांप बांधकर पतहर (खर पतवार) की मड़ाई (दंवरी) करता है और उसमें से कनकजीर (सुगंधित धान की प्रजाति) निकलता है. राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। सच्चाई जानने के लिए राजा अपने सैनिकों के साथ मौके पर पहुंचे तो नजारा देखकर हैरान रह गए. राजा ने ऋषि को हठपूर्वक आदेश दिया कि वे देवी जी को बुलाकर उन्हें दिखाएं. ऋषि ने राजा को समझाया कि उसे इतना अड़ियल नहीं होना चाहिए, अनावश्यक रूप से देवी माँ को बुलाना आपके लिए कष्टकारी होगा और यदि देवी क्रोधित हुईं तो आपका राज्य नष्ट हो जाएगा. वहीं समझाने के बाद भी राजा मदन जिद्द पर अड़े रहे, जब साधु के जान पर बन आई तो भारी मन से देवी का आह्वान किया.'' इसको लेकर कहा जाता है कि, जगदंबा असम के कामख्या से चली और खंहवार नामक स्थान पर पहुंची. वहां से थावें पहुंची (दोनों जगह मंदिर स्थापित है).''

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वहीं आगे कहा जाता है कि, ''देवी के आने से पहले ऋषि ने राजा को फिर चेतावनी दी लेकिन राजा नहीं माने, इसके बाद अचानक भक्त रहसू का सिर फट गया और देवी का हाथ उसके बाहर प्रकट हो गया. देवी के तेज को सहन नहीं कर पाए राजा और जमीन पर गिर पड़े. फिर कभी नहीं उठे. बाद में राजा का परिवार और पूरा साम्राज्य नष्ट हो गया. देवी मां भूमिगत हो गईं और पिंडी के रूप में यहीं स्थापित हो गईं. धीरे-धीरे यह स्थान घने जंगल से घिर गया. कालांतर में हरिचरण नामक व्यक्ति की नजर पिंडी पर पड़ी. उसने देखा कि एक गाय अपना दूध पिंडी पर गिरा रही है. उन्होंने पिंडी के चारों ओर सफाई शुरू कर दी और उसकी पूजा शुरू कर दी.''

साथ ही आपको बता दें कि इस मंदिर को लेकर ये भी कहा जाता है कि, ''भक्ति से प्रसन्न होकर देवी माँ ने रखवाली के लिए एक बाघ प्रदान किया जो हरिचरण के साथ रहता था. धीरे-धीरे इसकी खबर चारों ओर फैल गई. पहले यहां पहुंचना बहुत मुश्किल था, दो दशक पहले गंडक नदी पर छितौनी बगहा पुल बनने के बाद से यूपी से भी लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं. यहां मंदिर का निर्माण हो गया है, नेपाल बिहार उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवी दर्शन के साथ ही शादी विवाह मुंडन आदि धार्मिक कार्य करते हैं. यहां बकरे और मुर्गे की बलि भी दी जाती है. नवरात्रि के दौरान यहां बहुत बड़ा मेला लगता है. बगहा के बड़गांव की स्थापना राजा मदन के परिवार की एक लड़की ने की थी.'' वहीं इसी परिवार की सदस्य अर्पणा सिंह ने बताया कि, ''आज ही हम बच्चे के पहले मुंडन के लिए माता के दरबार में जाते हैं. आज भी अष्टमी की रात बाघ माता के दरबार में आता है. मदनपुर माता बहुत जीवंत स्थान है. यह अस्थान माता वैष्णो देवी स्थान से कम नही है.''

HIGHLIGHTS

  • बिहार के इस मंदिर का दिलचस्प है कहानी 
  • नवरात्रि के दौरान दर्शन करने कई राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
  • इसकी मान्यता जान आप भी हो जाएंगे हैरान 

Source : News State Bihar Jharkhand

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