छपरा का एक ऐसा गांव, जहां सड़क हुआ शौचालय में तब्दील

छपरा सहित पूरे बिहार को ओडीएफ घोषित हुए 4 वर्ष बीत गए, लेकिन जिले में एक ऐसा गांव है, जहां आज के इस डिजिटल युग में भी स्थानीय लोगों की सोच नहीं बदली.

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Vineeta Kumari
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सड़क हुआ शौचालय में तब्दील( Photo Credit : फाइल फोटो)

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छपरा सहित पूरे बिहार को ओडीएफ घोषित हुए 4 वर्ष बीत गए, लेकिन जिले में एक ऐसा गांव है, जहां आज के इस डिजिटल युग में भी स्थानीय लोगों की सोच नहीं बदली. गांव के कुछ लोगों ने मुख्य सड़क को ही शौचालय बना दिया है. हम बात कर रहे हैं मढ़ौरा प्रखंड के गौरा पंचायत की, जहां अगहरा पोखरा से गौरा बावन होते मुख्य सड़क तक निकलने वाली सड़क के बीच वार्ड संख्या 13 और 4 के बीच का सड़क सामुदायिक शौचालय में वर्षो से तब्दील है. केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत मिशन और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच मुक्त को लेकर कई योजनाएं जारी की गई है. ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को खुले में शौच से मुक्ति मिले और स्वच्छ भारत मे आमजनों की भागीदारी बढ़े. 

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सड़क शौचालय में हुआ तब्दील

इसके लिए सरकार द्वारा हर घर में शौचालय बनवाने को प्रेरित करने के साथ ही सहयोग राशि भी दे रही है. साथ ही जन जागरूकता के माध्यम से लोगों को खुले में शौच नहीं करने और इससे होने वाली परेशानियों से अवगत कराने का दावा भी करती है, लेकिन इन दावों की हकीकत की पोल तब खुल जाएगी, जब आप अगहरा पोखरा से गौरा मेला रोड में जाएंगे. इस रोड के गौरा पंचायत के गौरा वार्ड चार और तेरह में सड़क किनारे मंदिर है और दोनों मंदिर के बीच तकरीबन 300 मीटर की दूरी है. इन 300 मीटर की दूरी वाले सड़क को ही यहां के ग्रामीणों ने सामुदायिक शौचालय बना दिया है. इसी सड़क किनारे पंचायत सरकार भवन है, जहां आम लोग अपने कार्यों को लेकर पहुंचते है और प्रतिदिन सरकारी कर्मचारी भी पहुंचते हैं.

कागजों पर ओडिएफ घोषित

इतनी दूरी इस सड़क पर अहले सुबह और देर शाम में सामुदायिक शौचालय में तब्दील हो जाता है और जब इस सड़क मार्ग से राहगीर गुजरते हैं, तो उन्हें सबसे पहले अपने नाकों को दबाना पड़ता है. यह सिलसिला यहां कोई नया नहीं है, वर्षों से यह सड़क सामुदायिक शौचालय का रूप ले चुकी है. कोई भी स्थानीय जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी और प्रशासनिक पदाधिकारी, किसी का इस तरफ ध्यान नहीं जाता है. ना ही इस पंचायत के लिए चयनित स्वच्छाग्रही द्वारा ही कभी वरीय अधिकारी को सूचित किया गया और ना ही जागरूकता को लेकर पहल किया गया. पंचायत स्तर पर जांच के लिए जिले से लेकर प्रखंड तक के पदाधिकारी भी वहां उसी रास्ते से पहुंचते हैं. उन्हें भी परेशानी होती है, लेकिन आज तक प्रखंड कार्यलय द्वारा भी इस सड़क मार्ग पर गंदगी और ओडीएफ क्षेत्र मार्ग के खुले के शौच पर लगाम लगाने के लिए आमजनों के साथ बैठक या जागरूकता संबंधित कोई पहल नहीं की गई.

कब बदलेगी गांव की तस्वीर?

गौरा पंचायत के इन वार्डों के 60% घरों में शौचालय है. सड़क के दोनों किनारे खेत है. थोड़ी दूरी पर विशाल चंवर है, लेकिन स्थानीय स्तर पर लोगों की आदत नहीं बदली और आज भी कुछ परिवार के सदस्यों को इस वजह से यहां से गुजरने वाले राहगीरों को गंदगी देखने और बदबू का शिकार होना पड़ता है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब जनप्रतिनिधि और प्रखंड के अधिकारियों की नींद खुलेगी और जनजागरूकता के माध्यम से लोगों को जागरूक कर इस गांव की तस्वीर बदलेगी.

HIGHLIGHTS

  • छपरा का एक ऐसा गांव
  • सड़क शौचालय में हुआ तब्दील
  • कागजों पर ओडिएफ घोषित

Source : News State Bihar Jharkhand

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