यूं तो कोसी तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों के लिए हर रात काली स्याह होती है, लेकिन 14 और 15 अगस्त की रात कुछ लोगों के लिए स्वतंत्रता दिवस के जश्न के बजाय डर के साये में बिता. 14 अगस्त को कोसी का डिस्चार्ज अचानक इतना बढ़ा कि इसकी कल्पना जल संसाधन विभाग के इंजीनियर तक ने नहीं की थी. मंत्री संजय झा भी पूरी रात इसकी मोनिटरिंग करते रहे, लेकिन जैसे-तैसे वो काली स्याह रात बीत गयी. इस बीच प्रशासन के हाइ अलर्ट की अपील पर बाहर आए लोग अब पछता रहे हैं क्योंकि प्रशासन ने उन्हें वादा तो किया, लेकिन कोसी बराज के निर्माण काल से ठगी के शिकार दादा के पोते भी आज ठगे गए. अब प्रशासन की प्रशंसा करने की जगह उन्हें कोस रहे हैं.
प्रशासन ने फिर दिया धोखा
राजेन्द्र प्रशासन की उस घोषणा पर बाहर आया था कि यहां खाना, रहना सब मिलेगा, लेकिन ये बाहर आने के बाद खाने के लिए तरस रहा है. आज इनका भरोसा टूट गया. माइकिंग, लाखों का डीजल, पेट्रोल तो इन्हें बाहर निकालने की घोषणा पर खर्च हुआ है. वास्तव में जिन्हें आज मदद की दरकार है, वो वंचित हैं. ये सदर प्रखंड के भुराही और मुसहरनियां के रहने वाले लोग हैं, जो तटबंध के नजदीक बसने की वजह से प्रशासन की घोषणा को सुन माल मवेशी के साथ बाहर आ गए, लेकिन हालात सबके सामने है.
ग्रामीणों को नहीं मिल रही सरकारी मदद
प्रशासन इस बात से खुश है कि सरकारी आंकड़ों में उसने कई राहत कैंप खोल दिये. वहां रोजाना लोग भी शामिल होकर राहत के लिए लाइन में लगे हुए हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रशासन की जांच अधूरी सी दिख रही है. या तो यह प्रशासन की जानबूझ कर अपनाई गई नीति है या व्यवस्था काफी कम है. लिहाजा लोग इन्हें कोस रहे हैं. लोग कहते है कि यह बाढ़ तो हर साल आती है. तबाही की अपील होती है. वे बाहर आते हैं और फिर मायूस होकर अपने कूचे में निकल जाते हैं. बहरहाल, हालात तो जस का तस है, लेकिन जरूरत है कि पीड़ितों को मदद दी जाए ताकि प्रशासन और सरकार पर लोगों का भरोसा कायम रहे.
HIGHLIGHTS
- प्रशासन ने फिर दिया धोखा
- घर से बाहर बुलाकर नहीं की मदद
- बाढ़ से पीड़ित लोगों की सरकार से गुहार
Source : News State Bihar Jharkhand