जंगली व पहाड़ी क्षेत्रों में एक प्राचीन मंदिर है, जो पहाड़ के तलहटी के नीचे पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर जिस जगह है, उसके ऊपर लगभग 100 फीट ऊंचा पहाड़ है. वह भी इस तरह की मानों मंदिर को पहाड़ ढ़के हुए है और उस 100 फीट पहाड़ के नीचे तलहटी से कहां से पानी आता है, यह अभी भी पता नहीं है. लोगों का कहना है कि श्रृंगी ऋषि ने पूजा अर्चना करने के लिए पानी की कमी को देखते हुए वहां जल स्रोत निकाला था. जो अभी लगातार जारी है. उस जल में ठंड के मौसम में भी गर्म जल रहता है, उसमें 5 कुंड बनाए हुए हैं. जिससे हमेशा जल गिरते रहता है. वहीं, पहाड़ की तलहटी से कहां से पानी चला आ रहा है, वह खोज नहीं हो पाई है. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर चानन व कजरा के पहाड़ी क्षेत्रों में बसा श्रृंगी ऋषि धाम, सड़क मार्ग से पहुंचने पर पथरीले रास्ते और जंगल भी मिलते है, लेकिन उसे पार कर यहां आने पर जो सुकून मिलता है.
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वह सारी थकावट दूर कर देती है. किऊल, बंशीपुर या मननपुर रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद 10 किलोमीटर की यात्रा तय कर मंदिर पहुंचा जा सकता है. पहला दाढीसीर से पहाड़ी रास्ता शुरू होकर मंदिर तक जाता है, दूसरा बरारे गांव होते हुए मंदिर तक रास्ता जाता है. ये दोनों रास्ता काफी जटिल पिकनिक मनाने वाले लोगों की भीड़ है, बावजूद श्रद्धालु आस्था के साथ लगी रहती है. नक्सलियों का सुरक्षित यहां आते हैं. इस मंदिर में 1 जनवरी, 14 जनवरी, शिवरात्रि और श्रावण के प्रत्येक सोमवारी को काफी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं.
जंगल और पहाड़ रहने के कारण 1 जनवरी को यहां काफी संख्या में भीड़ जुटती है. पांव रखने तक का भी जगह नहीं मिलता. दिनभर यहां मेला सा नजारा रहता है. इसकी सुरक्षा को लेकर एसपी पंकज कुमार के द्वारा एसटीएफ, सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल के द्वारा सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाएगा क्योंकि नक्सल प्रभावित होने के कारण वहां अभी तक विकास नहीं हो पाया है. जबकि पर्यटन की वहां विशेष संभावना है. श्रृंगी ऋषि धाम को प्रकृति ने अपनी खूबसूरती से नवाजा है.
नववर्ष के अवसर पर यहां के पिकनिक स्पॉट मनाने लोग आते हैं. खुली आसमान के निचे मैदान में खाना बनाने वाले की भीड़ लगी रहती है. यहां के प्रमुख मंदिर व गर्म जलकुंड का झरना अनायस ही लोगों को अपनी ओर खींच लाती है. वहां पूजा पाठ के साथ ही नववर्ष में पिकनिक मनाने के लिए आसपास के लोगों के साथ ही बड़ी संख्या में दूसरे प्रांत के लोग आते हैं. इन जगहों को प्रकृति ने खूब सजाया संवारा है. हालांकि प्रशासनिक पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण मनोरम प्राकृतिक दृश्यों वाले इस स्थल का समुचित विकास नहीं हो सका है.
यह मंदिर प्रभु श्रीराम के जन्म से भी पहले है, जिसे श्रृंगी ऋषि ने बसाया था और त्रेतायुग में यहीं पहाड़ की कंदराओं के बीच उनका आश्रम था. भगवान राम के जन्म से जुड़ी गाथा भी है. यहीं पर भगवान दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए सिंगरी ऋषि से यज्ञ कराए आए थे और मुंडन संस्कार भी हुआ था. इस वजह से भी लोग यहां आते हैं. यहां सावन मास में हर सोमवारी जलाभिषेक किया जाता है. नववर्ष के मौके पर वर्षों से यह स्थल स्थानीय लोगों के साथ जिलेवासियों की आकर्षित करता है. पहली जनवरी को सुबह से लेकर शाम तक मंदिर परिसर में पूजा अर्चना के साथ युवा, वृद्ध बच्चे बैखोफ होकर पिकनिक का लुत्फ उठाते हैं. चानन व कजरा के पहाड़ी की वादियों में बसा श्रृंगीऋषि धाम पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पर्वत की गोदी में यहां जोन रहने के बाद भी महिला, युवती, पहाड़ी पानी का एक कुंड है.
वहीं, जंगल में उमड़ने वाली भीड़ और पिकनिक मनाने को लेकर आने वाले लोगों को सुरक्षा के लेकर एसपी पंकज कुमार के द्वारा वहां सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि एसआईटी एसटीएफ और अन्य पुलिस जवानों के द्वारा वहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी जाएगी.
HIGHLIGHTS
- मंदिर पहाड़ की लगभग 100 फीट ऊंचा पहाड़
- श्रृंगी ऋषि ने पूजा अर्चना के लिए निकाला था जल स्त्रोत
- पहाड़ की तलहटी से पानी का आना आज भी रहस्य
Source : News State Bihar Jharkhand