बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के प्रदेश समिति में बदलाव तय माना जा रहा है. प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को हटाने को लेकर दबाव बढ़ा हुआ है. पार्टी के अंदर से ही अध्यक्ष के खिलाफ आवाज उठने लगी है. वैसे, हार के कारणों को लेकर समीक्षा की बात की जा रही है, लेकिन अब तक जिम्मेदारी तय नहीं की गई है. महागठबंधन के अंदर भी यह आवाज उठ रही है कि कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के कारण जहां महागठबंधन के हाथों से सत्ता छिटक गई वहीं फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को सत्ता नसीब हो सकी.
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उठ रहे चौतरफा सवाल
भाजपा जहां 74 सीटों के साथ राजग में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर गई वहीं कांग्रेस 70 सीटों पर लड़कर भी सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई. कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में जो कुछ किया उस पर पार्टी के अंदर ही चौतरफा सवाल उठ रहे हैं. पार्टी के प्रदेश कार्यालय सदाकत आश्रम में भी कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाई जाने लगी है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के बिहार चुनाव प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने पार्टी के अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया है. बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद उठ रहे सवाल के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है.
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प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली तलब
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी इस्तीफे की पेशकश की है. सूत्र कहते हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने मदन मोहन झा को दिल्ली तलब किया है. कांग्रेस के कार्यकतार्ओं ने टिकट बंटवारे में लेन-देन और अन्य गड़बड़ियों के आरोप भी लगाए थे. कांग्रेस प्रदेश समिति के पूर्व उपाध्यक्ष कैलाश पाल भी कहते हैं कि टिकट बंटवारे में सामाजिक समीकरणों की अनदेखी की गई. उन्होंने कहा कि सभी दल पिछड़े और अति पिछड़ों को साधने की कोशिश में जुटे थे, जबकि कांग्रेस 70 में से सिर्फ एक टिकट अतिपिछड़ा वर्ग को दिया गया. उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं तो गड़बड़ी हुई है, तभी तो इतनी करारी हार हुई है.
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महागठबंधन में भी विरोध के स्वर
राजद के नेता शिवानंद तिवारी ने तो कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर भी सवाल खडे कर दिए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर भी कहते हैं कि कांग्रेस के कारण ही महागठबंधन की हार हुई है. उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे में गड़बड़ी हुई हो या प्रचार में कमी हुई हो, कुछ न कुछ कमी रही तभी तो हार हुई है. उन्होंने कहा कि इसकी समीक्षा होनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि 2015 विधानसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित कांग्रेस इस चुनाव में राजद में दबाव बनाकर अपने हिस्से में 70 सीटें कर ली थी, लेकिन मात्र 19 सीटें ही जीत सकी. ऐसी स्थिति में ना केवल पार्टी के अंदर बल्कि महागठबंधन में कांग्रेस के विरोध में आवाज उठ रही है.