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जयंती विशेष: नाम के नहीं... हकीकत के 'भोला' थे 3 बार बिहार के CM रह चुके भोला पासवान शास्त्री, अंत समय में दवा और कफन के भी नहीं थे पैसे!

जरूरतमंदों का भंडार भरते रहे लेकिन खुद कंगाल ही रहे . इनकी ईमानदारी ऐसी थी कि मरे तो खाते में इतने पैसे नहीं थे कि ठीक से श्राद्ध कर्म हो सके. शास्त्री जी को अपनी कोई संतान नहीं थी. उन्हें उनके भतीजे बिरंची पासवान ने मुखाग्नि दी थी.

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Shailendra Shukla
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Bhola paswan

स्व. भोला पासवान शास्त्री( Photo Credit : फाइल फोटो)

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बिहार की पावन धरती पर एक और महान नेता पैदा हुए थे. नाम था भोला पासवान शास्त्री और बाद में अपने मेहनत की वजह से उनके नाम के साथ शास्त्री शब्द भी जुड़ गया. कहने को तो भोला पासवान शास्त्री बिहार के तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे थे लेकिन जब अंत समय आया तो वह जमीन पर लेटे हुए थे और उनका अंतिम संस्कार भी जिले के अधिकारियों द्वारा किया गया था. जी हां! आपको सुनकर यह अटपटा जरूर लग रहा है लेकिन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला  शास्त्री की यह कहानी बिल्कुल सच्ची है. सच्चाई इतनी जिसपर लोग बहुत ही कम विश्वास करेंगे. लेकिन सत्य को प्रमाण की आवश्यकता कब पड़ी है. आज एक छुटभैया नेता भी करोड़ों की सम्पत्ति बना लेता है. ठसक के साथ किसी भी अधिकारी को हड़काकर कुछ भी करा सकता है . लेकिन तीन-तीन बार बिहार का मुख्यमंत्री रहने के बाद भी भोला  पासवान शास्त्री ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे उनका दामन दागदार हो. बाकी बातें बाद में करेंगे सबसे पहले बिहार के इस सपूत के बारे में कुछ बता देते हैं.

  • बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की कहानी
  • बीमार हुये तो दवा के पैसे नहीं.
  • मौत आई तो कफन के लिए रकम नहीं!

पुर्णिया के बैरगच्ची में पासवान बिरादरी 21 सितंबर 1914 को जन्में भोला पासवान के दिल में शिक्षा को लेकर बहुत ही ख्वाहिशें थीं. उस समय निचली कास्ट के लोग शिक्षा को लेकर इतने जागरूक नहीं थे. लेकिन भोला पासवान अलग ही थे. उन्होंने शिक्षा के महत्तव को न सिर्फ समझा बल्कि लोगों को अपनी शिक्षा के दम पर इतना मजबूर कर दिया कि अब लोग उन्हें भोला पासवान की जगह भोला पासवान शास्त्री कहने लगे थे. इतना ही नहीं बिहार की राजनीति में भोला पासवान ने एक नया इतिहास भी लिख डाला शेड्यूल कास्ट से आने वाले वह बिहार के पहले मुख्यमंत्रत्री थे.

  • तीन बार बने बिहार के मुख्यमंत्री
  • कांग्रेस से की थी अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत
  • कभी भी नहीं बने दलबदलू नेता
  • बिहार के प्रथम दलित मुख्यमंत्री बनकर रचा इतिहास

भोला पासवान शास्त्री एक बेहद ईमानदार और देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थे. वह महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय हुए थे. बहुत ही गरीब परिवार से आने के बावजूद वह बौद्धिक रूप से काफी सशक्त थे. कांग्रेस पार्टी ने उन्हें तीन बार अपना नेता चुना और वह तीन बार अखंड बिहार के मुख्यमंत्री बनाये गये. उनका कार्यकाल निर्विवाद था और उनका राजनीतिक व व्यक्तिगत जीवन पारदर्शी था .शास्त्री जी वैसे ही शास्त्री हुए थे जैसे लाल बहादुर शास्त्री थे. यानी भोला पासवान जो निलहे अंग्रेजों के हरकारे के पुत्र थे ने बीएचयू से शास्त्री की डिग्री हासिल की थी. राजनीति में सक्रिय थे. इंदिरा गाँधी ने इन्हें तीन दफा बिहार का मुख्यमंत्री और एक या दो बार केंद्र में मंत्री बनाया. भोला पासवान शास्त्री सबसे पहले 1967 में बिहार के मुख्यमंत्री बने और उनका कार्यकाल मात्र 100 दिनों का रहा.उसके बाद 1969 में 13 दिन के लिए और फिर जून 1971 में तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने.तीन बार में लगभग 11 माह तक भोला पासवान शास्त्री बिहार के मुख्यमंत्री रहे.

  • ईमानदारी के दूसरे रूप थे भोला पासवान शास्त्री
  • सिर्फ नाम के ही नहीं हकीकत के 'भोला' थे शास्त्री
  • जब मौत हुई तो इलाज के लिए नहीं थे पैसे
  • अंतिम संस्कार भी प्रशासनिक अधिकारियों ने किया

आधुनिक राजनीति का पहला मंत्र यही है कि चुनाव में जितना खर्च किया गया है. उससे कही ज्यादा गद्दी मिलते ही ऐन-केन-प्रकणेन यानि कैसे भी करके वसूल कर लो. लेकिन भोला पासवान सिर्फ नाम के ही नहीं बाल्कि वास्तविक जीवन में भी भोला ही थे. जरूरतमंदों का भंडार भरते रहे लेकिन खुद कंगाल ही रहे . इनकी ईमानदारी ऐसी थी कि मरे तो खाते में इतने पैसे नहीं थे कि ठीक से श्राद्ध कर्म हो सके. शास्त्री जी को अपनी कोई संतान नहीं थी. उन्हें उनके भतीजे बिरंची पासवान ने मुखाग्नि दी थी. विवाहित जरूर थे मगर पत्नी से अलग हो गये थे. पूर्णिया के तत्कालीन जिलाधीश ने इनका श्राद्ध कर्म करवाया था. गांव के सभी लोगों को गाड़ी से पूर्णिया ले जाया गया था.चुंकि मुखाग्नि उन्होंने दी थी सो श्राद्ध भी उनके ही हाथों सम्पन्न हुआ.

  • परिवार के लोग दूसरे जिलों में जाते थे काम पर
  • खुद के लिए भी नहीं इकट्ठा की कोई जमापूजी
  • प्रशासनिक अधिकारियों ने किया था अंतिम संस्कार!

बात करें कि भोला पासवान शास्त्री ने अपने परिवार के लिए क्या किया तो आपको जानकर हैरानी होगी कि सरकार की ओर से शास्त्री जी के परिजनों को एक या दो इंदिरा आवास मिला था. वह भी उनके मुख्यमंत्री रहते हुए नहीं. शास्त्री जी ने अपने लिए कभी सरकरा अथवा आम आदमी से कभी भी कोई डिमांड नहीं की. लोग यहां तक कहते हैं कि भोला पासवान शास्त्री के परिजन काम की तलाश में आस-पास के जिलों में जाते थे और. सरकारी कोटे से मिलने वाले राशन से गुजारा करते थे. आधुनिक नेताओं को सच का आइना दिखाने के लिए बिहार की धरती से अगर कोई नाम है तो वह पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री जी का ही नाम है.

Source : News State Bihar Jharkhand

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