बिहार सरकार पंचायतों और गांवों को मॉडल बनाने के दावे करती है. दावे करती है कि बिहार के गांव बुनियादी सुविधाओं से लैस हैं. दावे ये भी कि कई सरकारी योजनाओं के जरिए गांवों का विकास हो रहा है, लेकिन सच्चा क्या है. हम आपको दिखाते हैं. तस्वीरें है अररिया की, जहां विकास तो दूर की बात है ग्रामीणों को एक अदद सड़क तक नसीब नहीं है. अररिया के फारबिसगंज प्रखंड का अड़राहा पंचायत, जहां सड़क दलदल है और शासन प्रशासन के दावे हवा-हवाई. पंचायत की बदहाली का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि ग्राम प्रधान को अपना काम निपटाने के लिए पंचायत भवन भी नसीब नहीं है. ना ही ग्राम कचहरी सरपंच के लिए कचहरी का निर्माण कराया गया है.
विकास की बाट जोहते ग्रामीण
मुखिया अपने काम का निपटारा सामुदायिक भवन में करते हैं, तो सरपंच अपने काम का निपटारा स्कूल में करते हैं. गांव की तस्वीरें देख अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि यहां धरातल पर सरकारी योजनाओं का संचालन कितना हुआ है. सबसे ज्यादा मुश्किल ग्रामीणों को आवाजाही में होती है क्योंकि गांव में सड़क के नाम पर कुछ जर्जर-पथरीले रास्ते और पगडंडियां ही है. जो बारिश में दलदल में तब्दील हो जाते हैं और लोगों का आना-जाना दूभर हो जाता है.
विकास की बाट जोहते ग्रामीण
पंचायत के आधा से ज्यादा वार्ड में सड़क नहीं है, जिससे अब लोगों में आक्रोश का माहौल है. सड़क ना होने से बच्चों को स्कूल जाने में भी परेशानी होती है. गांव की बदहाली तब है जब इस पंचायत की दूरी फारबिसगंज प्रखंड मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर है, लेकिन इस पंचायत में आज तक उपस्वास्थ केंद्र भी नहीं बन सका है. लिहाजा लोगों को इलाक के लिए मुख्यालय तक जाना पड़ता है. सालों से विकास की बाट जोहते ही गांव की ना तो किसी जनप्रतिनिधि ने सुध ली है और ना ही किसी अधिकारी ने. हां. सवाल करने पर आश्वासन जरूर मिल जाता है. शासन और प्रशासन की उदासीनता का दंश आज पंचायत के लोग झेलने को मजबूर हैं. ऐसे में देखना ये होगा कि खबर दिखाने के बाद भी शासन प्रशासन ग्रामीणों की गुहार सुन पाता है या नहीं.
HIGHLIGHTS
- विकास की बाट जोहते ग्रामीण
- ग्रामीणों को एक अदद पुल की आस
- बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद
Source : News State Bihar Jharkhand