कोरोना लॉकडाउन (Corona Lockdown) के दौरान दूसरे अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर बिहार में सियासत तेज है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने दूसरे राज्यों में फंसे बिहारियों से अपील की कि वे जहां हैं, सारी कठिनाइयों के बावजूद वहीं धैर्य के साथ रुके रहें. बिहार सरकार हर संभव मदद की कोशिश में जुटी है. सुशील मोदी की इस अपील पर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) ने हमला बोला है. राजद ने कहा कि सीधे-सीधे बोलो कि भूखे-प्यासे अप्रवासी बिहारियों को वापस बुलाने की आपकी हैसियत नहीं है.
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राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट कर कहा, 'सीधे-सीधे बोलो कि भूखे-प्यासे पीड़ित अप्रवासी बिहारियों को वापस बुलाने की आपकी हैसियत नहीं है. गुजरात और बाकी सरकारें देशभर में फंसे अपने नागरिकों को वापस बुला सकती हैं तो बिहार सरकार क्यों नहीं? डबल इंजन सरकार और NDA के 50 निकम्मे सांसद क्या गरीबों का खून चूसने के लिए बने हैं?'
उधर, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील करते हुए कहा, 'अप्रवासी बिहारी भाई राज्य की मानव संसाधन पूंजी है. ये सभी कुशल, अर्द्ध कुशल और अकुशल श्रमिक राज्य के कमाऊ पूत हैं, जो प्रतिवर्ष 50 हजार से 60 हजार करोड़ का बेशकीमती अंशदान राज्य की अर्थव्यवस्था को देते हैं. उन्हें संकट की घड़ी में राज्य द्वारा इस तरह छोड़ देना संवैधानिक जिम्मेवारी, नैतिकता, मानवता और राजधर्म के विरुद्ध है.'
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उन्होंने आगे कहा, 'राशन के अभाव में इस तनावपूर्ण माहौल में हर कोई अपने घर आना चाहता है. जब सब राज्यों की सरकारें लॉकडाउन के मध्य अपने-अपने नागरिकों के लिए विशेष बंदोबस्त कर सुरक्षित घर वापस ला रही है तो बिहार सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती? बिहार लाने उपरांत आप उनकी स्क्रीनिंग और टेस्टिंग करके क्वारांटाइन कर सकते है. बाद में भी तो ऐसा ही करना होगा.'
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