आज छठ पूजा का तीसरा दिन है. कल छठ व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया जिसके बाद उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया. व्रती आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे ये पहला ऐसा त्योहार है. जहां डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. इसे प्रकृति की पूजा भी कही जाती है. सोमवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के बाद व्रती हवन और पारण करेंगे. इसके साथ ही चार दिवसीय महापर्व का समापन हो जाएगा.
डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य
छठ महापर्व का तीसरा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है. इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं. वहीं, पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल और सूप रखा जाता जाता है. इस दिन जैसे ही सूर्यास्त होता है परिवार के सभी लोग किसी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होकर एक साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं.
अर्घ्य देने का समय
छठ पूजा के दौरान सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने का खास महत्व होता है. संध्या अर्घ्य 30 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 34 मिनट पर दिया जाएगा. इसके बाद अगले दिन 31 अक्तूबर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा. इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ रहेगा.
जीवन में होती है उन्नति
भगवान भास्कर को जल से अर्घ्य देने से मानसिक शांति और जीवन में उन्नति होती है. लाल चंदन, फूल के साथ अर्घ्य देने से यश की प्राप्ति होती है. वहीं, प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्य, आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है. शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार सूर्य को अर्घ्य देने से पापों से मुक्ति मिलती है.
HIGHLIGHTS
. डूबते सूर्य की होती है पूजा
. अर्घ्य देने से मिलती है मानसिक शांति
. परिवार के लोग एक साथ देते हैं अर्घ्य
Source : News State Bihar Jharkhand