केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने शुक्रवार को कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा में रस औषधियों का अपना एक विशेष स्थान रहा है. वास्तव में रस औषधियों का प्रचलन ही आशुकारी चिकित्सा के रूप में हुआ था. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को भी रोकने में रस औषधियां विशेष रूप से प्रभावकारी हैं. प्रभावशाली रस औषधियों का निर्माण किया जाता है. कोविड-19 भी एक संक्रामक बीमारी है और इनमें भी आशुकारी चिकित्सा की जरूरत है.
पटना के राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में दो दिवसीय 'रोल अफ रस औषधि इन मैनेजमेंट ऑफ कोविड-19' विषय पर आयोजित सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 निश्चित रूप से मानव जाति के लिए बहुत बड़े खतरे के रूप में उत्पन्न हुआ है. इतिहास गवाह है कि जब-जब मानव जाति पर किसी भी प्रकार का आक्रमण हुआ है, हमारे ऋषि-महर्षियों ने उस आक्रमण से विश्व का बचाव किया है. आयुर्वेद की उत्पत्ति में भी कुछ इसी प्रकार की बातें देखने को मिलती हैं.
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रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग द्वारा आयोजित इस सेमिनार में चौबे ने कहा कि, "आज वैज्ञानिकों चिकित्सकों की जो यह बड़ी-बड़ी गोष्ठी आयोजित हो रही हैं. ऐसा पूर्व से हमारे इस महान देश में होता आ रहा है. चरक संहिता में तो कई स्थानों पर इस प्रकार की गोष्ठियों का वर्णन भी मिलता है."
उन्होंने कहा, "मैंने देखा है कि कोविड-19 के इस संक्रमण काल में करोड़ों-करोड़ों भारतीय आयुष काढ़ा एवं आयुर्वेद में बताए गए इम्युनिटी बढ़ाने वाले उपाय एवं योग तथा प्राणायाम का सहारा लेकर अपने आप को सुरक्षित रख सके हैं."
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इस कार्यक्रम में साइंटिफिक स्टेशन के मुख्य वक्ता डॉ. प्रोफेसर आर के शर्मा, प्रोफेसर संजय कुमार, ने भी अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया. महाविद्यालय के प्राचार्य डा़ दिनेश्वर प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री चौबे से संस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर बनाने और राजगीर में नया राष्ट्रीय स्तर का आयुर्वेदिक संस्थान बनाने में अपना सहयोग देने का आग्रह किया.
Source : IANS