मधेपुरा सदर अस्पताल में एक बार फिर बेहद शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. एक गर्भवती महिला को काफी दर्द हो रहा था. उसे प्रसव के लिए मधेपुरा सदर अस्पताल लाया गया, लेकिन अस्पताल में महिला डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी के लापरवाही से उन्हें जल्दी बाजी में भर्ती नहीं किया गया. इसी बीच महिला को प्रसव पीड़ा होने लगी. जिसके बाद उसकी डिलीवरी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के सामने खड़ी टोटो रिक्शा में ही हो गई. बच्चे के जन्म के बाद भी प्रसूता के पास न तो नर्स आई और न ही डॉक्टर. पीड़िता की परिजनों के शोर मचाने के बाद एक आशा ने उन्हें मदद करते हुए बच्चे को गोद में लेकर प्रसूति वार्ड में ले जाने को कहा गया.
एक तरफ सूबे के डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव दिन रात एक करके सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने में जुटे हैं. मिशन 60 के तहत राज्य के सभी सदर अस्पतालों के हालातों को सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ये भी दावा करते हैं कि अस्पतालों के हालात और खासकर सदर अस्पतालों के हालात सुधर रहे हैं. लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ लगातार कार्यवाही भी की जा रही है. अभी 13 जनवरी 2023 को हुई कैबिनेट बैठक में लापरवाही बरतनेवाले 18 डॉक्टरों को सेवा से बर्खास्त भी कर दिया गया था लेकिन डॉक्टर्स सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. वैसे ये पहला मौका नहीं था जब इस तरह की लापरवाही सामने आई हो. इससे पहले भी कई बार डॉक्टरों की लापरही समय-समय पर देखने को मिलती रही है.
हेल्थ सिस्टम का बुरा हाल, मरीज का ठेले पर किया इलाज, शव के लिए एंबुलेंस भी नहीं
29-30 दिसंबर 2023 को हाजीपुर से भी ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली थी. हाजीपुर में हेल्थ सिस्टम का बुरा हाल है. अस्पताल में जगह नहीं मिलने पर यहां एक मरीज का इलाज डॉक्टर ने ठेले पर ही किया और कुछ देर बाद मरीज की मौत हो जाने के बाद उसे एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई गई. पीड़ित परिजनों का कहना है कि उन्होंने एंबुलेंस की मांग की, लेकिन अस्पताल में दो एंबुलेंस होने के बावजूद उन्हें एंबुलेंस नहीं दी गई. मजबूरन परिजनों को ठेले पर ही शव को घर लेकर जाना पड़ा. वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में शव वाहन नहीं है और मरीज अस्पताल में नहीं आया था गेट पर ही था.
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जानकारी के अनुसार महनार के देशराजपुर निवासी अरुण पासवान की तबियत अचानक बिगड़ गई थी. जिसको चिंताजनक हाल में परिजन ठेले पर लेकर महनार पीएचसी पहुंचे और ठेले पर ही महनार पीएचसी के डॉक्टर ने इलाज किया और ठेले पर ही उसकी मौत हो गई. फिर ठेले से ही परिजन अरुण के शव को लेकर घर चले गए. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या मरीज को अस्पताल के अंदर नहीं ले जाना चाहिए था? क्या मरने के बाद अस्पताल प्रशासन को एम्बुलेंस से शव नहीं भेजना चाहिए था?
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नवादा सदर अस्पताल का हाल, शव को पाव भाजी के ठेले पर ले जाने को मजबूर हुए परिजन
एक तरफ बिहार के डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव सूबे के स्वास्थ्य महकमें को सुधारने का बीड़ा उठाए हुए हैं और लापरवाही बरतने पर डॉक्टर्स के खिलाफ कई बार कार्रवाई भी कर चुके हैं लेकिन नवादा का सदर अस्पताल प्रबंधन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. अक्सर अपनी कारगुजारियों को लेकर चर्चा में रहने वाला नवादा का सदर अस्पताल एक बार फिर से सुर्खियों में है. कारण ये है कि एक शख्स की तबियत अचानक खराब हो जाती है और उसे उपचार के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और 55 वर्षीय शख्स की मौत हो जाती है. परिजनों द्वारा बार-बार एंबुलेंस की मांग शव को ले जाने के लिए की गई लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं मुहैया कराई गई. अंत में परिजनों ने शव को पावभाजी के ठेले पर लादकर अस्पताल से ले जाया गया.
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मिली जानकारी के मुताबिक, गढ़पर मोहल्ला के निवासी 55 वर्षीय सदैव प्रसाद बिहारी की तबियत खराब होने पर उन्हें ठेले पर ही सदर अस्पताल लाया गया था. उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई लेकिन शव को ले जाने के लिए एक बार फिर से परिजनों को ठेले का ही इस्तेमाल करना पड़ा, क्योंकि उन्हें अस्पताल प्रशासन द्वारा एंबुलेंस तक नहीं मुहैया कराया गया.
HIGHLIGHTS
- मधेपुरा सदर अस्पताल की बड़ी लापरवाही
- प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को नहीं मिला इलाज
- अस्पताल के बाहर टोटो पर महिला ने बच्चे को दिया जन्म
Source : News State Bihar Jharkhand